निजी अस्पतालों पर नकेल जरूरी

राज्य में निजी अस्पताल मात्र एक उद्योग बनकर रह गया है. चिकित्सकों में न तो कोई सेवा भावना शेष बची है और न ही कोई सामान्य मानवीय स्वभाव. विगत कई दिनों से अस्पतालों की मनमानी और अमानवीय स्वभाव की चर्चा मीडिया के माध्यम से देखने और सुनने को मिलता रहता है. एक ओर तो देश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 25, 2015 5:20 AM
राज्य में निजी अस्पताल मात्र एक उद्योग बनकर रह गया है. चिकित्सकों में न तो कोई सेवा भावना शेष बची है और न ही कोई सामान्य मानवीय स्वभाव. विगत कई दिनों से अस्पतालों की मनमानी और अमानवीय स्वभाव की चर्चा मीडिया के माध्यम से देखने और सुनने को मिलता रहता है.
एक ओर तो देश में चिकित्सा प्रणाली को दुरुस्त करने कवायद की जाती है, वहीं, निजी अस्पतालों में कुकृत्यों को अंजाम दिया जाता है. सरकारी अस्पतालों में फैली कुव्यवस्था की वजह से लोग अपने परिजनों को निजी अस्पतालों में ले जाना उचित समझते हैं.
यहां मरीज के परिजनों को बहला फुसला कर भर्ती करने पर विवश कर दिया जाता है. आश्चर्य है कि निजी अस्पतालों की मनमानी पर सरकार कोई नहीं कर रही है. सरकार से आग्रह है कि वह निजी अस्पतालों पर नकेल कसने की व्यवस्था करे.
– आशुतोष चंद्र मिश्र, हजारीबाग

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