यहां तो परंपरा ही बन गयी हड़ताल

हड़ताल मानो झारखंड की परंपरा और नियति बन गयी है. कभी किसी विभाग के कर्मचारियों की ओर से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल की जाती है, तो कभी किसी विभाग की ओर से. यह सभी जानते हैं कि हड़ताल किसी समस्या का समाधान नहीं है. अभी हाल ही में राज्य के पारा शिक्षक अपने वेतनमान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 26, 2015 2:19 AM
हड़ताल मानो झारखंड की परंपरा और नियति बन गयी है. कभी किसी विभाग के कर्मचारियों की ओर से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल की जाती है, तो कभी किसी विभाग की ओर से. यह सभी जानते हैं कि हड़ताल किसी समस्या का समाधान नहीं है.
अभी हाल ही में राज्य के पारा शिक्षक अपने वेतनमान को लेकर हड़ताल पर थे, अब बिजली विभाग के सैकड़ों कर्मचारी हड़ताल पर हैं. शिक्षकों की हड़ताल से जहां स्कूली शिक्षा बाधित हो रही थी, तो बिजली विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल से बिजली की आपूर्ति प्रभावित हो रही है.
किसी भी मांग का समाधान द्विपक्षीय वार्ता के जरिये निकाला जा सकता है, लेकिन वार्ता के दौरान दोनों पक्षों में से कोई एक मानने को तैयार ही नहीं होता. इस बीच, आम जनता को कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि वह क्या करे? इसके प्रति सरकार को गंभीरता से विचार करना होगा.
– अनुपमा सिन्हा, रांची

Next Article

Exit mobile version