मानवता के संरक्षक वृक्ष का करें बचाव
पृथ्वी को शोभायमान करनेवाले, मानवता के संरक्षक, पालक, पोषक एवं संवर्द्धक वृक्षों का हमारे जीवन से गहरा नाता है. वे हमारे लिए प्रकृति प्रदत्त अमूल्य उपहार हैं. अतः उनके संरक्षण एवं उनकी वृद्धि में प्रत्येक भारतवासी को अपना सहयोग देना चाहिए. नये वृक्ष लगाना न सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी है, बल्कि देश की आम जनता […]
पृथ्वी को शोभायमान करनेवाले, मानवता के संरक्षक, पालक, पोषक एवं संवर्द्धक वृक्षों का हमारे जीवन से गहरा नाता है. वे हमारे लिए प्रकृति प्रदत्त अमूल्य उपहार हैं. अतः उनके संरक्षण एवं उनकी वृद्धि में प्रत्येक भारतवासी को अपना सहयोग देना चाहिए. नये वृक्ष लगाना न सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी है, बल्कि देश की आम जनता का भी दायित्व है.
वृक्षों से सबसे बड़ा लाभ यह है कि वे वर्षा कराने में सहायक सिद्ध होते हैं, जिससे हमें सालों भर खाने के लिए खाद्यान्न तो मिलता ही है, साथ ही पर्यावरण संतुलन भी बरकरार रहता है.
ग्रीष्मकाल में वृक्ष ही हमें सुखद छाया प्रदान कर दिल को सुकून पहुंचाते हैं. इतना ही नहीं, वृक्षों से हमें नैतिक शिक्षा भी मिलती है. मनुष्य जब यह देखता है कि कटा हुआ वृक्ष भी कुछ दिनों बाद फिर हरा-भरा हो उठता है, तो उसकी समस्त निराशाएं शांत होकर धैर्य और साहस भरी आशाएं एक बार फिर हरी-भरी हो जाती हैं. उनसे हमें दूसरों के कल्याण की शिक्षा भी मिलती है. यह सिद्ध सत्य है कि पेड़ हमारे देश की नैतिक, सामाजिक और आर्थिक समृद्धि के मूल स्रोत हैं. भारतीय संस्कृति में वृक्षों का अपना महत्वपूर्ण स्थान रहा है.
वातावरण की शुद्धता के लिए ये अतिमहत्वपूर्ण हैं. आज हम पर्यावरण दिवस के मौके पर प्रतीकात्मक तरीके से पेड़ लगाने का कोरम पूरा करते हैं, लेकिन इसे सिर्फ प्रतीकात्मक रूप में हमें नहीं मनाना चाहिए. पर्यावरण संरक्षण के प्रति एक गहरी प्रतिबद्धता की दिशा में आंदोलन तीव्र गति से पूरे विश्व में बढ़ रहा है. वैश्विक स्तर पर प्रकृति में महत्त्वपूर्ण संतुलन बनाये रखने में पेड़ मनुष्य का बहुत बड़ा सहायक है.अत: हम सभी को अपने क्षेत्र में हमेशा पौधरोपण करते रहना होगा. तभी हम प्रकृति के ज्यादा नजदीक पहुंच सकेंगे.
मनीष कुमार, जमशेदपुर