एक समान हो विवाह की उम्र
एक तरफ तो हमारा भारतीय समाज लड़का और लड़की के बीच भेदभाव करता ही है, वहीं, हमारे देश के कुछ कानून भी ऐसे हैं, जो लड़का-लड़की के बीच भेदभाव करते हैं. इन्हीं में से एक विवाह की न्यूनतम उम्र का कानून है. भारत में वर्तमान में ‘विशेष विवाह अधिनियम, 1954’ व ‘हिंदू विवाह अधिनियम, 1955’ […]
एक तरफ तो हमारा भारतीय समाज लड़का और लड़की के बीच भेदभाव करता ही है, वहीं, हमारे देश के कुछ कानून भी ऐसे हैं, जो लड़का-लड़की के बीच भेदभाव करते हैं. इन्हीं में से एक विवाह की न्यूनतम उम्र का कानून है. भारत में वर्तमान में ‘विशेष विवाह अधिनियम, 1954’ व ‘हिंदू विवाह अधिनियम, 1955’ के तहत लड़के के विवाह की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष तथा लड़की के विवाह की 18 वर्ष निर्धारित की गयी है. यह समानता के सिद्धांत पर आधारित नहीं है.
इसमें लड़का-लड़की के विवाह की न्यूनतम उम्र में तीन साल का अंतर करके लड़की के प्रति भेदभाव किया गया है. अतः इस भेदभावपूर्ण कानून की वजह से युवतियां शैक्षिक दृष्टि से युवकों के मुकाबले पिछड़ जाती हैं. अब प्रश्न उठता है कि विवाह की न्यूनतम उम्र दोनों के लिए बराबर क्यों नहीं रखी गयी. सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना होगा.
– सुरेश प्रसाद, ई-मेल से