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तकनीकी साक्षरता जरूरी
देश में डिजिटल क्रांति का शंखनाद हो चुका है. प्रधानमंत्री मोदी तकनीकी रथ पर सवार होकर देश के नौजवानों का आह्वान कर रहे हैं. 21वीं सदी के इस प्रतिस्पर्धात्मक युग में इस क्रांति की औचित्य है. यही समय का तकाजा है और यदि इसका उचित क्रियान्वन होता है, तो इसी बहाने करोड़ों लोगों को तकनीक […]
देश में डिजिटल क्रांति का शंखनाद हो चुका है. प्रधानमंत्री मोदी तकनीकी रथ पर सवार होकर देश के नौजवानों का आह्वान कर रहे हैं. 21वीं सदी के इस प्रतिस्पर्धात्मक युग में इस क्रांति की औचित्य है. यही समय का तकाजा है और यदि इसका उचित क्रियान्वन होता है, तो इसी बहाने करोड़ों लोगों को तकनीक से जोड़ा भी जा सकता है.
आज के इस तकनीकी दौर में जो व्यक्ति सर्च इंजन और सोशल मीडिया से दूर है, वह निश्चय ही तकनीक के मामले में गरीबी रेखा से नीचे जीवन व्यतीत रह रहा है.
सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालयों के अधिकांश प्रमाण पत्र आज ऑनलाइन हो गये हैं. अब कम से कम हर एक भारतीय को मोबाइल तथा सर्च इंजन का प्रयोग करना तो आना ही चाहिए. तकनीकी ज्ञान के अभाव के कारण आज ग्रामीण क्षेत्रों में लोग बिचौलियों के शिकार हो रहे हैं. यहां तक कि साइबर कैफेवाले भी उन्हें ठगने में पीछे नहीं रहते. सरकार को यह भी ध्यान में रख कर चलना होगा कि देश में बिजली की किल्लत, सुस्त इंटरनेट, महंगी डेटा दर जैसी समस्याएं इस योजना के लिए बाधक बन सकती हैं.
इसलिए डिजिटलीकरण के साथ-साथ बुनियादी मुद्दों पर भी काम करने की आवश्यकता है.
सरकार के प्रयासों से विद्यार्थियों को तकनीकी रूप से साक्षर करने के लिए गांवों के प्राथमिक विद्यालयों में दर्जन भर कंप्यूटर सिस्टम्स की खरीदारी तो की गयी है, लेकिन वस्तुस्थिति यह है कि प्रयोग न होने के कारण तालाबंद कमरों में वे धूल फांक रहे हैं.
यह हाल किसी एक गांव का नहीं. अत: डिजिटलीकरण से पूर्व देश के सभी नागरिकों को तकनीकी रूप से साक्षर करने की जरूरत है और इससे पहले सरकारी संरचना को यह बात समझनी जरूरी है.
– सुधीर कुमार, राजाभीठा, गोड्डा
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