सीबीआइ की लाठी से चल रही सरकार
किसी ने ठीक ही कहा है कि जिसकी लाठी उसकी भैंस. यानी शक्ति की ही जीत होती है. जो पार्टियां सत्ता या ताकत में हैं, प्राय: जीत उन्हीं की होती है. पावर, पुलिस और पैसा ये सभी तो इन्हीं के पास होते हैं. मुलायम सिंह के पिछले बयान से भी साफ है कि सीबीआइ किसी […]
किसी ने ठीक ही कहा है कि जिसकी लाठी उसकी भैंस. यानी शक्ति की ही जीत होती है. जो पार्टियां सत्ता या ताकत में हैं, प्राय: जीत उन्हीं की होती है. पावर, पुलिस और पैसा ये सभी तो इन्हीं के पास होते हैं.
मुलायम सिंह के पिछले बयान से भी साफ है कि सीबीआइ किसी को भी अंदर कर सकती है. बात सही लगती है. मगर उनका इस कदर डरना क्या ठीक है? यह एक नया सवाल खड़ा कर देता है. इनसान गलतियों का पुतला है. उससे छोटी-बड़ी गलतियां जरूर होती हैं. और इन्हीं गलतियों को नजरअंदाज करने की ताकत रखनेवाली सरकार, मुलायम और माया के साथ बड़ी तेजी के साथ जल्द ही अपनी मंजिल पर पहुंच जायेगी. कड़वी सच्चई तो यही है कि सभी सत्ता की मजेदार मलाई ही काटने की फिराक में हैं, वरना अगर दम है तो ये सभी खुल कर सामने क्यों नहीं आ जाते? वेद प्रकाश, नरेला, दिल्ली