वादों की सरकार न बन कर रह जाये

एक कहावत है, ‘जो जाता है लंका वही रावण हो जाता है.’ झारखंड के नेताओं पर यह कहावत बहुत सटीक बैठता है. जो कोई भी सरकार का मुखिया बनता है, वह वादों के पिटारे को खोलना शुरू कर देता है. जनता से जितने वादे किये जाते, उसका दशांश भी पूरा नहीं होता. पिछली सरकार के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 3, 2015 12:35 AM
एक कहावत है, ‘जो जाता है लंका वही रावण हो जाता है.’ झारखंड के नेताओं पर यह कहावत बहुत सटीक बैठता है. जो कोई भी सरकार का मुखिया बनता है, वह वादों के पिटारे को खोलना शुरू कर देता है. जनता से जितने वादे किये जाते, उसका दशांश भी पूरा नहीं होता. पिछली सरकार के मुखिया ने जो वादे किये, उनमें से आधे भी अभी पूरे नहीं किये जा सके हैं.
अब जब नयी सरकार बनी, तो वह भी सिर्फ वादे ही कर रही है. चुनाव से लेकर अभी तक जनता सरकार का सिर्फ वादा और घोषणा ही सुन रही है. सूबे की नयी सरकार ने अभी तक कम से कम दो दर्जन वादे कर दिये हैं. इसके बावजूद बिजली-पानी, आवास, गरीबी, अंधविश्वास, सड़क, भ्रष्टाचार, लालफीताशाही, बेरोजगारी आदि बुनियादी समस्याएं अब भी बरकरार है. सरकार में शामिल लोगों से आग्रह है कि वे जनता से वादा कम करें और बुनियादी समस्याओं का समधान निकालने का प्रयास अधिक करें.
– कुमार संजय स्पेनिन, रांची

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