कानफोड़ू आवाज से कब मिलेगी मुक्ति
त्योहारों का मौसम शुरू होते ही गांव-शहरों में देर रात तक लाउस्पीकर की कानफोड़ू आवाज लोगों के कानों तक पहुंचने शुरू हो जाते हैं. किसी भी अनुष्ठान की शुरुआत से लेकर तीन-चार दिन बाद तक यह सिलसिला जारी रहता है. दिन में या फिर देर शाम तक उत्सव मनाना तो समझ में आता है, लेकिन […]
त्योहारों का मौसम शुरू होते ही गांव-शहरों में देर रात तक लाउस्पीकर की कानफोड़ू आवाज लोगों के कानों तक पहुंचने शुरू हो जाते हैं. किसी भी अनुष्ठान की शुरुआत से लेकर तीन-चार दिन बाद तक यह सिलसिला जारी रहता है.
दिन में या फिर देर शाम तक उत्सव मनाना तो समझ में आता है, लेकिन देर रात तक लाउस्पीकर पर ओछे गानों की धुन पर हुड़दंग मचाना समझ से परे है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार रात दस बजे के बाद लाउस्पीकर बजाना गैर-कानूनी है, मगर इस आदेश की अवहेलना देश के प्राय: हर शहरों में हो रही है.
प्रशासनिक अधिकारी भी धर्म और आस्था को लेकर हस्तक्षेप करना उचित नहीं समझते. देर रात ऊंची आवाज की वजह से बीमारों और वृद्धों को ज्यादा परेशानी होती है. पता नहीं कब इससे मुक्ति मिलेगी?
– डॉ सुखदेव तांती, जमशेदपुर