देश में बढ़ रही है आर्थिक विषमताएं

भारत जैसे प्रजातांित्रक देश में किसी भी व्यक्ति को अपनी बात कहने का पूरा अधिकार है. खास तौर पर जब बात देश और समाज की हो, तो उसका स्वागत किया जाना चाहिए. देश के आजाद हुए करीब सात दशक होने को है. इसके बावजूद आज भी देश की जनता कठिनाइयों में जीने को विवश है, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 6, 2015 12:13 AM
भारत जैसे प्रजातांित्रक देश में किसी भी व्यक्ति को अपनी बात कहने का पूरा अधिकार है. खास तौर पर जब बात देश और समाज की हो, तो उसका स्वागत किया जाना चाहिए. देश के आजाद हुए करीब सात दशक होने को है.
इसके बावजूद आज भी देश की जनता कठिनाइयों में जीने को विवश है, क्याेंकि हमारी आर्थिक नीति दुरुस्त नहीं है. यह आम और खास में फर्क पैदा करती है. चुनाव होता और सरकारें बनती व बदलती रहती हैं, लेकिन जनता की आवाज कोई नहीं सुनता. सब अपने मन की करते चले जा रहे हैं.
सरकार चलानेवाले जायय-नाजायज फैसला लोगों पर थोपते जा रहे हैं. हर छह महीने पर सरकारी कर्मचािरयों और हर दूसरे-तीसरे साल विधायकों और सांसदों के वेतन भत्तों में वृद्धि होती जा रही है, लेकिन कोई अधिकारी अथवा नेता मजदूरों, किसानों और निजी कंपनियों में कार्यरत कर्मचािरयों के बारे में नहीं सोच रहा है. इसी से देश में आर्थिक विषमताएं पैदा हो रही हैं.
– वांछानिधि दास, धनबाद

Next Article

Exit mobile version