ठोस उपाय से दूर होगा किसानों का दर्द

किसानों पर योगेंद्र यादव और एस श्रीनिवासन आदि ​के ताजा लेखों से साफ है कि धरतीपुत्र अन्नदाता की हालत बहुत ही दयनीय और चिंताजनक है. कृषि प्रधान देश की यह हालत है, तो इसे पूर्ण विकास और प्रगति कैसे कहा जा सकता है? किसानों की आत्महत्याएं आज भी दुर्भाग्य से जारी है, क्योंकि उसके लिए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 6, 2015 12:14 AM
किसानों पर योगेंद्र यादव और एस श्रीनिवासन आदि ​के ताजा लेखों से साफ है कि धरतीपुत्र अन्नदाता की हालत बहुत ही दयनीय और चिंताजनक है. कृषि प्रधान देश की यह हालत है, तो इसे पूर्ण विकास और प्रगति कैसे कहा जा सकता है? किसानों की आत्महत्याएं आज भी दुर्भाग्य से जारी है, क्योंकि उसके लिए ठोस कदम नहीं उठाये गये हैं.
किसान और खेतिहर मजदूर ही देश का सर्वाधिक उपेक्षित तबका है. मजदूर और किसान मजदूर की हालत तुलनात्मक उससे बेहतर है. बेचारे किसान तो बिलकुल प्रकृति के आसरे है.
आंधी, तूफान, सूखा, बाढ़, बीमारी और महामारी उसे घेरे ही रहती है. आज जरूरत इस बात की नहीं है कि किसानों के दुख पर रोया जाये. आज जरूरत इस बात की है कि किसानों के दुख को कम करने के ठोस उपाय किये जायें.
– वेद प्रकाश, मामूरपुर, नरेला

Next Article

Exit mobile version