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सामाजिक बुराइयों का हो दहन

दुर्गा पूजा हिंदुओं का प्रमुख पर्व है. देशभर में यह हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. बुराइयों पर अच्छाई की विजय का प्रतीक यह पर्व दस्तक देने को तैयार है. इसी बाबत विभिन्न पूजा समितियों ने भव्य आयोजन के लिए कमर भी कस ली है. पंडाल निर्माण से लेकर मूर्ति विसर्जन की रूपरेखा अब लगभग […]

दुर्गा पूजा हिंदुओं का प्रमुख पर्व है. देशभर में यह हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. बुराइयों पर अच्छाई की विजय का प्रतीक यह पर्व दस्तक देने को तैयार है. इसी बाबत विभिन्न पूजा समितियों ने भव्य आयोजन के लिए कमर भी कस ली है. पंडाल निर्माण से लेकर मूर्ति विसर्जन की रूपरेखा अब लगभग तय हो चुकी है.
वर्ष-दर-वर्ष पूजा के नाम पर होनेवाले खर्चे का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है. समय बीतने के साथ-साथ भक्ति व श्रद्धा के बजाय पर्व-त्योहारों को हम परंपरा के नाम पर भव्यता व फूहड़ता की चादर ओढ़ा रहे हैं.
पूजा के लिए भव्यता नहीं, भक्ति और श्रद्धा की जरूरत होती है. आयोजनों में प्रयुक्त मूर्तियां व त्याज्य वस्तुओं का जलस्रोतों में अशोधित प्रवाह, जल स्रोतों को प्रदूषित करता है. इस बार शपथ लें कि रावण के पुतले के दहन के साथ-साथ विभिन्न व्यक्तिगत व सामाजिक बुराइयों को भी आग लगायी जायेगी.
-सुधीर कुमार, गोड्डा

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