प्राकृतिक संसाधनों का महत्व समझें

हमें यह कहते हुए काफी दुख होता है कि प्राकृतिक संसाधनों के प्रति लोगों की संवेदना और सोच शून्य होती जा रही है. आज हम प्राकृितक संसाधनों की बर्बादी बहुत तेजी से कर रहे हैं, जो मानव जाति के अिस्तत्व के लिए सबसे बड़ा खतरा है. इस गंभीर विश्वव्यापी समस्या को हमारी सरकारें काफी लंबे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 9, 2015 6:51 AM
हमें यह कहते हुए काफी दुख होता है कि प्राकृतिक संसाधनों के प्रति लोगों की संवेदना और सोच शून्य होती जा रही है. आज हम प्राकृितक संसाधनों की बर्बादी बहुत तेजी से कर रहे हैं, जो मानव जाति के अिस्तत्व के लिए सबसे बड़ा खतरा है. इस गंभीर विश्वव्यापी समस्या को हमारी सरकारें काफी लंबे समय से नजरअंदाज करती आ रही हैं. स्वयं को सर्वाेपिर माननेवाला हमारा विज्ञान भी इसे रोकने में असमर्थ है.
तमाम वैज्ञानिक उपलब्धियों के बावजूद आज पूरा संसार गंभीर पर्यावरणीय समस्याओं से जूझ रहा है. आजकल हमारे द्वारा प्रयोग किया जानेवाला भोजन, पानी और यहां तक कि हवा भी प्रदूषित हो गये हैं. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? क्या यह प्रकृति के असंतुलन का प्रभाव है? यह बात सही है कि यह उसी पर्यावरण असंतुलन का ही नतीजा है. इसका कारण और कुछ नहीं, बल्कि अंधाधुंध प्रयोग ही है. बर्बादी का आलम यह है कि आज हम वन, जल और वायु का भी सम्मान नहीं कर रहे हैं, जबकि ये तीनों तत्व पृथ्वीवािसयों को जीवन प्रदान करते हैं.
महज निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए उनका दोहन कर रहे हैं. यदि प्राकृतिक चीजों के प्रति हमारा रवैया और नजरिया ऐसा ही रहा, तो वह दिन दूर नहीं, जब पृथ्वी पर जीवन का नामोनिशान मिट जायेगा. इन सबके लिए केवल सरकार और आधुनिक विज्ञान को ही जिम्मेदार ठहाराना बिलकुल उिचत नहीं है, क्योंकि जब तक समाज में लोगों की मानसिकता व नजरिया में परिवर्तन नहीं हो, तब तक इस समस्या का समाधान संभव नहीं है.
अत: हम सभी देशवािसयों को प्राकृतिक संसाधनों के महत्व को समझना होगा तथा आवश्यकता के अनुसार पर्यावरण संतुलन बनाये रखते हुए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करना होगा.
-अभिषेक रंजन, मलकोको, हजारीबाग

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