आरटीआइ के समक्ष समस्याएं

आज पूरे देश में सूचना का अधिकार दिवस मनाया जायेगा. वर्ष 2005 के 12 मई को यह कानून संसद में पारित हुआ था और 12 अक्तूबर को लागू किया गया था. इस कानून से आम आदमी को सरकारी कामकाज से संबंधित जानकारी हासिल करने का अधिकार प्राप्त हो गया. सरकारी कामों में पारदर्शिता लाने में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 12, 2015 1:15 AM

आज पूरे देश में सूचना का अधिकार दिवस मनाया जायेगा. वर्ष 2005 के 12 मई को यह कानून संसद में पारित हुआ था और 12 अक्तूबर को लागू किया गया था. इस कानून से आम आदमी को सरकारी कामकाज से संबंधित जानकारी हासिल करने का अधिकार प्राप्त हो गया. सरकारी कामों में पारदर्शिता लाने में इस कानून की अहम भूमिका है. इस कानून के सहयोग से सूचना प्राप्त कर भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर हुए.

इसके दायरे में सभी सरकारी विभाग के साथ गैर सरकारी संगठन आदि को भी लाया गया. बावजूद इसके इस कानून के समक्ष कई समस्याएं हैं. व्यापक प्रचार के अभाव में आज भी इस कानून की जानकारी बहुत कम लोगों के पास है. जनता को सूचना पाने का अधिकार तो मिल गया लेकिन कानून की कुछ खामियों की वजह से लोगों को समय पर सूचनाएं नहीं मिल पातीं. इसका दुरुपयोग भी किया जा रहा है. कुछ लोग सरकारी पदाधिकारी या किसी अन्य को ब्लैकमेल करने के उद्देश्य से इसका उपयोग करते हैं.

सबसे बड़ी बात यह है कि कानून के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए सरकार विभागों के अधिकारी आवेदक को समुचित जानकारी ही उपलब्ध नहीं कराते. प्रथम अपील या राज्य सूचना आयोग में अपील करने पर सूचना भेजते भी हैं, तो ज्यादातर में उनका रवैया टालू ही होता है. जवाबी पत्रों में स्पष्ट रूप से लिखा होता है कि यह जानकारी हमारे पास उपलब्ध नहीं है, इसलिए आप फलाने विभाग से संपर्क करें. दूसरा यह कि राज्य और केंद्रीय सूचना आयोग में हजारों ऐसे मामले हैं, जिन पर सुनवाई नहीं की जा रही है. ऐसी स्थिति में, आवेदकों को कई सालों तक इस कार्यालय से उस कार्यालय और सूचना आयोगों के कार्यालयों में चक्कर लगाना पड़ता है. यह व्यवस्था बदली जाये.

प्रताप तिवारी, सारठ

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