पर्यावरण व राजस्व दोनों का नुकसान

झारखंड में पर्यावरण संबंधी नियमों का उल्लंघन कर बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जिम्मेदारी है कि वह इस तरह के खनन को रोके. लेकिन इसके उलट, बालू के लिए झारखंड की नदियों का बेतरतीब तरीके से दोहन हो रहा है. बताया जाता है कि झारखंड में बालू का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 22, 2013 4:35 AM

झारखंड में पर्यावरण संबंधी नियमों का उल्लंघन कर बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जिम्मेदारी है कि वह इस तरह के खनन को रोके. लेकिन इसके उलट, बालू के लिए झारखंड की नदियों का बेतरतीब तरीके से दोहन हो रहा है.

बताया जाता है कि झारखंड में बालू का सालाना कारोबार लगभग 438 करोड़ रुपये का है. दरअसल, रियल एस्टेट क्षेत्र में तेज विकास की वजह से बालू की मांग लगातार बढ़ रही है. इस मांग को पूरी करने के लिए अवैध खनन धड़ल्ले से हो रहा है. पर्यावरण की परवाह कर बालू कारोबारी मोटी कमाई कर रहे हैं.

सवाल है कि झारखंड से ही अधिक बालू दूसरे राज्यों में क्यों जा रहा है? क्या यहां इसे रोकनेवाला कोई नहीं है? इन सबके बीच अहम यह भी है कि बालू के इस कारोबार से राज्य सरकार को कुछ खास राजस्व की प्राप्ति नहीं हो रही है. बालू घाटों की बंदोबस्ती नहीं होने के कारण बिचौलिये कम कीमत पर यहां की नदियों से बालू निकाल कर बड़ी आसानी से ट्रकों ट्रैक्टरों में लाद कर दूसरे राज्यों में सप्लाई कर देते हैं. झारखंड का बालू पश्चिम बंगाल, बिहार यूपी में बिक रहा है.

यही हाल संताल परगना में पहाड़ियों की कटाई का है. संताल परगना के साहिबगंज पाकुड़ जिले से गिट्टी की ढुलाई प्रतिदिन सैकड़ों ट्रकों से हो रही है. यही नहीं, बड़े आराम से यहां से गिट्टीबजरी बांग्लादेश तक चली जाती है. पर सरकार को नाममात्र का राजस्व ही मिल पाता है. यहां की पहाड़ियां अब विलुप्त हो रही हैं. पर शायद प्रदूषण बोर्ड के नुमाइंदे आंखें बंद करके बैठे हैं.

सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार किसी भी खनन के लिए पर्यावरण क्लीयरेंस लेना अनिवार्य है. पर संताल परगना के इन जिलों में इक्कादुक्का व्यवसायी ही क्लीयरेंस लेकर काम करते हैं. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए. प्रशासनिक पदाधिकारियों को इस पर लगाम लगाना चाहिए.

अगर समय रहते इस पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो राजमहल की ऐतिहासिक पहाड़ियों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जायेगा. कुछ लोगों के खेल में सरकारी राजस्व का तो नुकसान हो ही रहा है, पर्यावरण संकट का खतरा भी मंडराने लगा है. इस मुद्दे पर जनजागरण जरूरी है. ऐसे धंधेबाजों को रोकना होगा.

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