।। मो जुनैद ।।
प्रभात खबर, पटना
बिल्कुल बौरा गये हैं चिलमन भाई. कल कह रहे थे कि सपने में बेवक्त बाबा वेलेंटाइन आये और बोले– ‘‘वत्स्! बसंत से पहले प्रेम रैली की तैयारी करो और चौथा मोरचा बनाओ. देश की बेबस जनता टकटकी लगाये है.
भज्जी का दूसरा, तीसरा से काम नहीं चलनेवाला. अध्यादेश फटने के बाद लोग चौथा देखना चाहते हैं.’’ चिलमन भाई घबरा कर बोले– ‘‘वो तो ठीक है बाबा, लेकिन प्रेम रैली?’’ बाबा बोले– ‘‘क्यों, हुंकार रैली, खबरदार रैली, चेतावनी रैली, जनाक्रोश रैली, पोल खोल रैली, अधिकार रैली, सद्भावना रैली वगैरह हो सकती है, तो इसमें क्या आपत्ति है. वैसे भी भारत कृषि प्रधान ही नहीं, रैली प्रधान देश भी है.
यहां टमटम–ठेला रैली से लेकर तेल पिलावन, लाठी घुमावन रैली तक होती है. कुरसी के लिए कुछ भी करेगा के तर्ज पर लोग आज क्या नहीं करते हैं? रैली से आमजन की परेशानी कितनी बढ़ जाती है, यह किसी को बताने की जरूरत है क्या? मरीज एंबुलेंस में तड़पता है तो तड़पे, स्कूली बच्चे पानी को तरस रहे हों तो तरसें या फिर भूखे पेट बिलख रहे हों, तो बिलखें, लेकिन ये नेता–कार्यकर्ता जन भावनाओं के साथ रैली का खेल खेलने से बाज नहीं आनेवाले.
खैर, प्रेम रैली इन सबसे हट कर करो, ताकि किसी को कोई तकलीफ न हो. इसमें गुजरात से आकर बिहार में हुंकार भरने की जरूरत नहीं है. न ही बिहार से दिल्ली जाकर अधिकार जताने की जरूरत.’’ चिलमन भाई बोले– ‘‘बाबा! कौन करेगा मेरा समर्थन?’’ बाबा बोले– ‘‘नासमझ! तुम प्रेम पार्टी बनाओ. सोशल मीडिया का सहारा लो. तुम मजनूं व माशूका मंच गठित करो.
निर्मल दरबार नहीं, दीवाना दरबार लगाओ. देश भर में प्रेम प्रकोष्ठ बनाओ. लोग आज नमो टी स्टॉल खोल रहे हैं, तुम देव–पारो टी स्टॉल लगाओ. नैन मटक्का जेनरल स्टोर खोलो. प्रेम पाठशाला लगा कर सदस्यता अभियान चलाओ. कौन आदमी हमारा मतदाता नहीं होगा? तीसरी पीढ़ी से लेकर एक पांव कब्र में रखनेवाला तक हमारा कैडर वोटर है. तुमने सुना नहीं कि इश्क से कोई बशर नहीं खाली, इसने कर दिया कितने घर के घर खाली.. खैर, सदस्यता अभियान के बाद आसाराम बाप–बेटा जैसे आस्था के सौदागर को भी जोड़ना ताकि चौथा मोरचा बनाने में कोई दिक्कत पेश नहीं आये.’’
चिलमन बोले, ‘‘बाबा प्लीज! एक तो दागी, ऊपर से न्यायिक हिरासत बढ़ती ही जा रही है.’’ बाबा बोले, ‘‘वत्स! राज्य हो या केंद्र सरकार, कहां दागी लोग नहीं हैं. बस इतना समझो कि सरकार चलाने के लिए ये दाग अच्छे हैं. रही बात ‘राइट टू रिजेक्ट’ की, तो कितने लोग इसका इस्तेमाल करेंगे? इसके अलावा घोषणापत्र में कुछ खास शामिल करना.
लैपटॉप, आइपॉड नहीं, युवाओं को केबिननुमा साइबर सुविधा देंगे. घूस, भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए गुप्तदान महादान का का नारा देंगे. रामराज का सपना दूर है, लेकिन प्रेम राज तो साकार कर लो.’’