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पनडुब्बी डूबे चार हाथ

चंचल सामाजिक कार्यकर्ता तीव्र गति, और उमर दरजी की मानें, तो बुलेट ट्रेन की स्पीड से नवल उपाधिया आते दिखाई दिये. पूरा भार साइकिल की हैंडिल पर, दोनों गोलार्ध जो सीट पर रहता है, वह ऊपर उठा हुआ. भरपूर गति से साइकिल लाल्साहेब की दूकान पर आयी. जोर का ब्रेक लगा, तो कयूम मियां थोड़ा […]

चंचल
सामाजिक कार्यकर्ता
तीव्र गति, और उमर दरजी की मानें, तो बुलेट ट्रेन की स्पीड से नवल उपाधिया आते दिखाई दिये. पूरा भार साइकिल की हैंडिल पर, दोनों गोलार्ध जो सीट पर रहता है, वह ऊपर उठा हुआ. भरपूर गति से साइकिल लाल्साहेब की दूकान पर आयी. जोर का ब्रेक लगा, तो कयूम मियां थोड़ा चिहुंक कर खसक गये. उन्हें लगा कि अब नवल साइकिल समेत ऊपर आ गिरेगा. ब्रेक लगा और नवल कूद कर लाल्साहेब की दूकान पर, भरी महफिल में आकर खड़े हो गये.
लोगों को मालूम है कि नवल ऐसी हरकत तब करते हैं, जब कोई नायाब ‘मसाला’ उनके खीसे में रहता है और मुंह के रास्ते बाहर आना चाहता है. भिखई मास्टर ने यह ताड़ लिया और उंगली के इशारे से उकसाया- बोलिए नवल जी, कुछ खास? नवल ने आंख गोल की.
फिर पूरी संसद को देखा. एक चिखुरी को छोड़ कर सब नवल से मुखातिब रहे. नवल अखबार में धंसे पड़े रहे. नवल ने मंडल को बगल खिसकाया और बेंच पर बैठ गये- देखिए मास्स साब! हम वक्त के पहले पैदा हो गये रहे… कयूम धीरे से फुसफुसाये- पैदा कहां भये रहे, खींच-तान के बाहर निकालना पड़ा था… नवल चूक गये- देखो चचा! मामला गंभीर है मजाक मत करो. सुनो- हम जे कह रहे हैं कि अगर आज का जमाना रहा होता, तो हम मिडिल स्कूल ना फेल भये रहते. गणित औ नागरिक शास्त्र दोनों में इकट्ठे फेल हो गये थे. गणित तो गणित रहा, नागरिक शास्त्र में एक विषय पर निबंध लिखना था, लिखा भी, मुला फेल.
काहे से कि हमने सही लिखा था, काॅपी जांचनेवाला अगर लोकल रहा होता, तो पास भी हो जाते, लेकिन वह गैर-जिले का था, गधे ने फेल कर दिया.
लखन कहार ने पूछा किस विषय पर निबंध लिखना था? नवल ने बताना शुरू किया- विषय था, आजादी का अर्थ बताओ और देश ने कैसे आजादी हासिल किया. सच्ची बताऊं, आजादी का होती है, अभी दू घंटा पहिले तक ना मालूम रहा, सो उस वक्त की तो बात ही छोड़िये. हमने पूरा बिबरन लिख डाला कि देश को आजादी दिलानेवाले हरी उपधिया रहे. आगे-आगे हाजो दुबे घोड़ी पे बैठे, पीछे बलई कहार और हरी उपाधिया होत भिनसार निकल गये नारा लगाते हुए- भारत माता की जय, गान्ही बाबा की जय, औरतों ने तिलक लगाया.
तब तो हम बच्चे रहे. पूरे गांव में चर्चा रही कि हाजो दुबे, हरी उपाधिया औ बलई कहार आजादी लेने जा रहे हैं. और जे भी लिखा कि कीन उपाधिया के बाप जो कि संघी रहे, पूरे खेत्ता में अफवाह फैला दिये कि ये तीनों जेल चले गये हैं. पर एक दिन आजादी आ गयी. चबूतरे पर तिरंगा फहरा. यही लिखा रहा, फिर भी फेल. लेकिन अभी तक नहीं समझ पाये रहे कि आजादी होती का है. अभी दू घंटा पहिले पता चला कि आजादी का होती है.
मद्दू पत्रकार मुस्कुराये- तो बता भी दो कि आजादी होती का है? नवल खीसे से एक पर्ची निकाले- सुना जाये! वस्त्रविहीन घूमना ही आजादी है. बकलम खुद मलाख… ई मलाख का है भाई? मद्दू ने जिज्ञासा जाहिर की.
चिखुरी अब तक अखबार में धंसे पड़े थे, अखबार को एक तरफ बढ़ाया- मलाख. ऐसा है जैसे मद्दू. महंथ दुबे से मदु और मदु से मद्दू. मनोहर लाल खट्टर, मुख्यमंत्री, हरियाणा. अपने प्रधानमंत्री के पुराने सहयोगी. दोनों जब प्रचारक थे, तो रात को दोनों की खिचड़ी पकती थी.
मौका मिला तो मुख्यमंत्री बन गये. कह रहे हैं- अगर भारतीय औरतों को आजादी चाहिए, तो वे वस्त्रहीन क्यों नहीं घूमतीं? कह कर चिखुरी मुंह घुमा लिये- कोई मर्यादा नहीं, औरतों के बारे में यह राय?
लखन कहार ने टुकड़ा जोड़ा- सब उनचास हाथ. एक से बढ़ कर एक हैं. दादरी का देख लो, दंगा भड़काने की कोशिश हुई. बाद में पता चला उनका अपना ही विधायक सोम अलीगढ़ में बूचड़खाना चलाता है और सरकार से मांग की है कि उसकी फैक्ट्री को एक दिन में पचास हजार जानवर काटने का परमिशन मिले. ये सब जिम्मेवार लोग हैं.
कयूम ने एक लंबी सांस ली- बिहार में इनकी हालत बिगड़ी हुई है. पनडुब्बी डूबे चार हाथ, पनडुब्बी का बच्चा बारह हाथ.इनका जवाब लालू दे रहे हैं, उन्हीं की भाषा में. अब घिघ्घी बंध गयी है. कह रहे हैं लालू की जमानत खारिज करो और जेल भेजो. यह हमें पिशाच बोल गया. चिखुरी हत्थे से उखड़ गये- क्यों, कुछ गलत बोला क्या? गुजरात दंगा देश के माथे पर कलंक है.
शिवराज के जमाने में क्या हो रहा है? व्यापमं से जुड़े अनेक लोगों की रहस्यमयी हालात में मौत हो गयी. कितने अभी जेल में हैं. नवल ने जुमला जोड़ा- और भी कुछ सुना? बापू, आंबेडकर, वगैरह की तसवीर खरीदी गयी. ग्यारह रुपये की तसवीर 1,353 के हिसाब से खरीदी दिखाई गयी. चलो बच्चूं! बिहार जवाब देगा… नवल गाते हुए चलते बने- तोर बोलिया सुने कोतवाल तूती बोलेला…

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