राजनीति में फंसती शिक्षक नियुक्ति

झारखंड टेट का परीक्षा परिणाम घोषित हुए एक अरसा हो चुका है, लेकिन राज्य के ऊंचे सरकारी ओहदों पर आसन जमाये गणमान्य महानुभावों की कृपा से शिक्षित बेरोजगारों की परेशानी जस की तस बनी हुई है. नीतियों की अस्पष्टता तथा दूरदर्शिता की कमी ने नियुक्ति प्रक्रि या पर विराम-सा लगा दिया है. इस प्रसंग में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 24, 2013 2:51 AM

झारखंड टेट का परीक्षा परिणाम घोषित हुए एक अरसा हो चुका है, लेकिन राज्य के ऊंचे सरकारी ओहदों पर आसन जमाये गणमान्य महानुभावों की कृपा से शिक्षित बेरोजगारों की परेशानी जस की तस बनी हुई है.

नीतियों की अस्पष्टता तथा दूरदर्शिता की कमी ने नियुक्ति प्रक्रि या पर विराम-सा लगा दिया है. इस प्रसंग में ताजा मामला जो प्रकाश में आया है, वह यह है कि राज्य की शिक्षा मंत्री ने उन उम्मीदवारों की उम्मीदवारी रद्द कर दी है, जिन्होंने भोजपुरी और मगही भाषाओं के साथ टेट की परीक्षा दी थी.

शिक्षामंत्री के इस बयान के बाद जहां टेट उम्मीदवारों के बीच कहीं खुशी तो कहीं गम है. ऐसे में इस राज्य के शैक्षणिक उत्थान का प्रभु ही मालिक है! पर प्रश्न यह है कि राजनीति और वोट नीति से हो रही अभ्यर्थियों की इस मानसिक प्रताड़ना का वास्तविक दोषी कौन है?
महेंद्र कुमार महतो, फुलवारीटांड़

Next Article

Exit mobile version