जरूरी हैं कड़े संदेश

जो मुल्क दुनिया की आर्थिक ताकत बनने के सपने देख रहा हो, उसमें तरक्की की राह रोकनेवाली घटनाओं के लिए कोई जगह कैसे हो सकती है? यह सवाल इसलिए खड़ा होता है, क्योंकि पिछले कुछ दिनों से देश के अलग-अलग इलाकों में हो रही सद्भाव बिगाड़नेवाली घटनाएं दुनिया के सामने भारत की एक चिंताजनक तसवीर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 20, 2015 6:23 AM
जो मुल्क दुनिया की आर्थिक ताकत बनने के सपने देख रहा हो, उसमें तरक्की की राह रोकनेवाली घटनाओं के लिए कोई जगह कैसे हो सकती है? यह सवाल इसलिए खड़ा होता है, क्योंकि पिछले कुछ दिनों से देश के अलग-अलग इलाकों में हो रही सद्भाव बिगाड़नेवाली घटनाएं दुनिया के सामने भारत की एक चिंताजनक तसवीर पेश कर रही हैं.
कहीं किसी नामचीन लेखक की हत्या, कहीं गोमांस के नाम पर हत्या और अशांति, कहीं उन्माद भड़कानेवाली बयानबाजियां, तो कहीं पाकिस्तान से जुड़ी हर चीज को प्रतिबंधित करने की जिद से देश में असुरक्षा और अशांति का माहौल बन रहा है.
देश के आर्थिक-सामाजिक विकास और लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के वादे के साथ बीते साल केंद्र में एक नयी सरकार सत्तारूढ़ हुई थी, जिससे देश के हर आम एवं खास वर्ग की व्यापक उम्मीदें जुड़ी थीं. बीते डेढ़ साल में कई नीतिगत पहलें भी हुई हैं. डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया जैसे महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों के साथ सरकार ने अर्थव्यवस्था की मजबूती और रोजगार के अवसर बढ़ाने की दिशा में काम करना भी शुरू कर दिया था. लेकिन, अचानक ऐसी घटनाओं का सिलसिला शुरू हो जाना हैरान करता है, जिनसे विकास की गाड़ी के पटरी से उतरने की आशंका हो. भारत में लगातार हो रही नकारात्मक घटनाओं की विदेश में भी चर्चा शुरू हो गयी है.
स्वाभाविक रूप से इसका असर विदेशी निवेश बढ़ाने की कोशिशों पर पड़ सकता है. केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडु ने उचित ही कहा है कि ऐसी घटनाओं से देश के बारे में एक गलत संदेश बाहर जा रहा है. उधर, विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार पर हालात को काबू में करने में विफल रहने का आरोप लगाया है. इन दोनों बयानों के आइने में केंद्र और राज्य सरकारों का उत्तरदायित्व बनता है कि देश की छवि को बिगाड़नेवाली नकारात्मक घटनाओं को तत्काल रोकें, जिनसे विकास की राह बाधित न होने पाये.
उन्माद भड़कानेवाली घटनाओं को अंजाम देनेवाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर एक कठोर संदेश दिया जाना चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अकसर यह बात कही है कि भारत के लोगों को आपस में मिल-जुल कर गरीबी और अन्य गंभीर समस्याओं से लड़ना चाहिए. जाहिर है, अगर हम देश की बिगड़ती छवि से सही मायनों में क्षुब्ध हैं, तो हमारा साझा प्रयास इन घटनाओं को रोकने की दिशा में ही होना चाहिए.

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