क्या खत्म हो गया देशप्रेम?

एक समय था जब देश के नेता मुल्क की आजादी के लिए लड़ना और लड़ते-लड़ते शहीद हो जाना, शान की बात समझते थे. यहां तक कि आम आदमी के रगों में भी देश के लिए मर मिटने का जोश हुआ करता था. लेकिन आज लोग देश के लिए नहीं बल्कि देश को ही खत्म करने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 21, 2015 4:42 AM
एक समय था जब देश के नेता मुल्क की आजादी के लिए लड़ना और लड़ते-लड़ते शहीद हो जाना, शान की बात समझते थे. यहां तक कि आम आदमी के रगों में भी देश के लिए मर मिटने का जोश हुआ करता था. लेकिन आज लोग देश के लिए नहीं बल्कि देश को ही खत्म करने पर तुले हैं.
वरना सोचिए कि आज हर राज्य, हर शहर, हर गांव और हर गली में गलत, भ्रष्टाचार, आतंक, भुखमरी, बलात्कार जैसे काम हो रहे हैं पर कोई भी इन समस्याओं के खात्मे के बारे में बात तक नहीं करता. कुछ लोग बेकार की लफ्फाजी करते हैं, पर परिणाम कुछ नहीं निकलता. क्योंकि करने वाले बोलते नहीं और बोलने वालों की स्थिति सब जानते हैं! इन्हें केवल दूसरों का भरोसा तोड़ना, उनकी भावनाओं से खेलना आता है! आज देशप्रेम खत्म-सा हो गया है.मेरा एक सवाल है कि क्या यह स्थिति कभी सुधरेगी? क्या आज के नेता अपनी कुरसी छोड़ कर दूसरों के आंसू पोछेंगे?
– मुक्ता शर्मा, कोकर, रांची

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