नियुक्ति न करने के लिए बहानेबाजी

मैं झारखंड की शिक्षा मंत्री की जानकारी के लिए बताना चाहूंगा कि भाषा की परिभाषा यह है कि उसकी अपनी लिपि होती है, जबकि बोली की अपनी कोई लिपि नहीं होती है, बल्कि वह किसी दूसरी भाषा की लिपि द्वारा लिखी जाती है, जैसे – खोरठा, मगही, भोजपुरी, हो, नागपुरी, अंगिका, बिरहोर आदि. उन्होंने किस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 25, 2013 2:45 AM

मैं झारखंड की शिक्षा मंत्री की जानकारी के लिए बताना चाहूंगा कि भाषा की परिभाषा यह है कि उसकी अपनी लिपि होती है, जबकि बोली की अपनी कोई लिपि नहीं होती है, बल्कि वह किसी दूसरी भाषा की लिपि द्वारा लिखी जाती है, जैसे – खोरठा, मगही, भोजपुरी, हो, नागपुरी, अंगिका, बिरहोर आदि. उन्होंने किस बिना पर यह बयान दिया है कि भोजपुरी, मगही और अंगिका आदि बोलियां हैं, भाषा नहीं, और इसलिए इन भाषाओं के साथ टेट उत्तीर्ण उम्मीदवारों का रिजल्ट रद्द कर दिया जायेगा.

अगर ये सब बोलियां हैं, तो खोरठा, नागपुरी, हो, बिरहोर भी झारखंड की क्षेत्रीय बोलियां हैं, क्योंकि उनकी अपनी कोई लिपि नहीं है. सिर्फ संथाली की अपनी लिपि ‘ओल-चिकी’ है. तो क्या इन सबको भी अमान्य घोषित कर दिया जायेगा? सच्चई यह है कि सरकार नियुक्ति करना नहीं चाहती.

सन्नी दयाल शर्मा, डिभा, चतरा

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