सोशल मीडिया की अफवाहों से रहें सचेत

हाल में हुए दादरी कांड के बाद देश के कई इलाके संवेदनशील हो उठे थे. किस तरह से एक अफवाह से लोगों की तथाकथित धार्मिक आस्था आहत होती है और फिर कैसे हजारों की संख्या में लोग अपनी घायल आस्था की टीस को दिल में संजोये एक निहत्थे और निर्दोष पर टूट पड़ते हैं. इसका […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 24, 2015 12:10 AM
हाल में हुए दादरी कांड के बाद देश के कई इलाके संवेदनशील हो उठे थे. किस तरह से एक अफवाह से लोगों की तथाकथित धार्मिक आस्था आहत होती है और फिर कैसे हजारों की संख्या में लोग अपनी घायल आस्था की टीस को दिल में संजोये एक निहत्थे और निर्दोष पर टूट पड़ते हैं.
इसका उदहारण आज देश के सामने है. यह घटना क्यों हुई, इसमें किसका हाथ है, इन सभी सवालों से इतर यह जानना जरूरी हो जाता है कि इस तरह के अफवाह को इतनी तवज्जो कैसे मिल पाती है या ऐसी खबरें इतनी जल्दी लोगों तक कैसे पहुंच जाती हैं, जिससे लोग एक उन्माद को जन्म देते हैं.
इन सबके पीछे जाकर देखेंगे, तो पायेंगे कि सोशल मीडिया देश में सामािजक स्थिति को सुदृढ़ करने के बजाय अफवाहों को फैलाने में अहम भूमिका निभा रहा है. एक घटना को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करने में सोशल मीडिया का बड़ा योगदान है. आज लोगों को इस सोशल मीडिया के अफवाहों से बचने की दरकार है.
– शुभम श्रीवास्तव, ई-मेल से

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