विकास से ही कायम हो सकेगी शांति

गोड्डा जिला का सुंदर पहाड़ी प्रखंड सूबे के सघनतम जंगली इलाकों में से एक है. प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण यह प्रदेश आज नक्सलियों की शरणस्थली बन गया है. बीते दिनों नक्सली-पुलिस के बीच हुए एक मुठभेड़ में दो पुलिसकर्मी शहीद हो गये. इस संवेदनशील इलाके में सेना के जवान अपनी जान हथेली पर रख कर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 24, 2015 12:11 AM
गोड्डा जिला का सुंदर पहाड़ी प्रखंड सूबे के सघनतम जंगली इलाकों में से एक है. प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण यह प्रदेश आज नक्सलियों की शरणस्थली बन गया है. बीते दिनों नक्सली-पुलिस के बीच हुए एक मुठभेड़ में दो पुलिसकर्मी शहीद हो गये. इस संवेदनशील इलाके में सेना के जवान अपनी जान हथेली पर रख कर ड्यूटी करते हैं.
घने जंगलों के बीच घुमावदार सड़कों से यात्रा करना भयावह लगता है. आये दिन राहगीरों से मोबाइल, बाइक और जेवरातों के छिनतई की खबरें आती रहती हैं. सुंदर पहाड़ी के आसपास के संवेदनशील इलाके सदियों से विकास से काफी दूर हैं.
हालांकि हमारी सरकार पहाड़िया व आदिवासी समाज के लोगों के कल्याण के नाम पर करोड़ों रुपये की योजनाएं बनाती है, लेकिन ज्यादातर जरूरतमंदों को इसका लाभ नहीं मिलता. कुछ ऐसी ही कहानी इन क्षेत्रवासियों की भी है. ये क्षेत्र विकास की रोशनी से कोसों दूर हैं. पौष्टिक भोजन, स्वच्छ पेयजल जैसी मुलभूत सुविधाएं इन लोगों के लिए आज भी एक सपना है.
राज्य में गरीबी, भुखमरी व कुपोषण सबसे अधिक है. आजीविका के नाम पर लोग आज बीड़ी, पत्तल बनाना और जंगलों के बीच सुनसान सड़क पर लकड़ी के लट्ठे को डाल कर वाहन चालकों से जबरन पैसे वसूलने का काम करते हैं. सड़क के नाम पर केवल गड्ढे और कीचड़ नजर आते हैं.
इन विपरीत परिस्थितियों में पथ-विमुख युवाओं का नक्सली बनना स्वाभाविक है. अगर हमारी सरकार वास्तव में नक्सल समस्या से निपटना चाहती है, तो नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस जवानों को न दौड़ा कर विकास की गाड़ी दौड़ाये.
– सुधीर कुमार, राजाभीठा, गोड्डा

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