अपनी प्रतिभाओं से यह कैसा सलूक ?

रांची में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी के घर पर पत्थरबाजी के बाद यह सहज ही सवाल उठता है कि यह कैसा गुस्सा? इस तरह से अपनी कुंठा का इजहार करनेवाले कौन लोग हैं? यह सही है कि झारखंड में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के मैचों का सबसे महंगा टिकट बिकता है. काफी मेहनत-मशक्कत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 26, 2013 3:02 AM

रांची में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी के घर पर पत्थरबाजी के बाद यह सहज ही सवाल उठता है कि यह कैसा गुस्सा? इस तरह से अपनी कुंठा का इजहार करनेवाले कौन लोग हैं? यह सही है कि झारखंड में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के मैचों का सबसे महंगा टिकट बिकता है. काफी मेहनत-मशक्कत करके दर्शकों को टिकट मिलता है.

लेकिन बारिश के कारण मैच रद्द हो जाये, तो इसमें कप्तान धौनी का क्या कसूर? फिर महंगे टिकट के लिए, स्टेडियम में बदइंतजामी के लिए धौनी के घर पर पथराव करने का क्या मतलब? हो सकता है कि टिकट का पैसा वसूल नहीं होने से क्षुब्ध युवकों ने धौनी के घर पर पथराव करके अपनी भड़ास निकाल ली हो, लेकिन इस तरह की घटनाओं से ही झारखंड-बिहार की बदनामी होती है. हम पर प्रतिभाओं की बेकद्री का आरोप लगता है. साथ ही, अपनी प्रतिभाओं के साथ अपमानजनक रवैये के कारण हमारी और बदनामी होती है. पटना में फिल्मी हस्तियों को आमंत्रित करने वाली एक पीआर कंपनी के मुताबिक सिलेब्रेटीज बिहार-झारखंड आना ही नहीं चाहते हैं. उन्हें सबसे अधिक चिंता अपनी सुरक्षा की होती है.

पिछले एक साल में पटना में अनिल कपूर से लेकर रणबीर कपूर आये, सबके साथ बदसलूकी की घटनाएं हुईं. इस तरह की घटनाओं को अंजाम देनेवाले तो अपना काम कर जाते हैं, बदनामी राज्य भर की होती है. ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए पुलिस की सख्ती भी जरूरी है. धौनी के घर पर पथराव करनेवालों की अब तक पहचान भी नहीं हो पायी है. अगर, पुलिस इस हाइ प्रोफाइल मामले में भी हीला-हवाली करेगी, तो इस तरह की घटनाओं में शामिल तत्वों का दुस्साहस और बढ़ेगा. राज्य की छवि तो खराब होगी ही, साथ ही नामचीन प्रतिभाएं अपने राज्य से मुंह मोड़ने को बाध्य भी होंगी.

लेकिन कुछ अन्य बातों पर भी गौर किया जाना जरूरी है. इस मामले में सरकार और प्रशासन को उन बिंदुओं की भी तलाश करनी होगी कि आखिर झारखंड में सबसे महंगा टिकट क्यों बिकता है? स्टेडियम में बदइंतजामी क्यों होती है? दर्शकों के साथ जानवरों जैसा सलूक क्यों होता है? अगर, इन बातों पर आयोजकों को संवेदनशील बनाने की भी पहल होगी, तो इसके बेहतर नतीजे के तौर पर इस तरह की घटनाओं पर रोक लग सकती है.

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