राष्ट्रीय एकता की मजबूती की जरूरत

राष्ट्र की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए हर एक भारतीय को जात-पात व संप्रदायवाद से मुक्त होकर आपसी भाईचारा को मजबूत करने की जरूरत है. देशभर में घटित पिछले दो महीने की घटनाओं पर गौर किया जाये, तो एक बात स्पष्ट रूप से सामने आती है कि जात-पात और संप्रदायवाद के नाम पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 29, 2015 12:42 AM
राष्ट्र की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए हर एक भारतीय को जात-पात व संप्रदायवाद से मुक्त होकर आपसी भाईचारा को मजबूत करने की जरूरत है. देशभर में घटित पिछले दो महीने की घटनाओं पर गौर किया जाये, तो एक बात स्पष्ट रूप से सामने आती है कि जात-पात और संप्रदायवाद के नाम पर हम सबों के बीच फूट डालने और आपस में लड़ाने की कोशिश की गयी है.
यह सभी जानते हैं कि लंबे संघर्ष के बाद देश को आजादी मिली थी. खंडित आजादी की पीड़ा को आज तक देशवासी कभी भुला नहीं पाये हैं.
आज की तारीख में हमारा भारत विश्व के मानचित्र में एक प्रभावशाली देश के रूप में अपनी पहचान बनाने में पूरी तरह सफल हुआ है. यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की बढ़ती लोकप्रियता विश्व के कई देशों को नागवार गुजर रही है.
विश्वभर में आयी आर्थिक मंदी ने दुनिया के कई देशों की कमर तोड़ दी, लेकिन भारत में इसका असर न के बराबर हुआ. भारत दिन-प्रतिदिन आकाश की बुलंदियों को छूता जा रहा है. भारत की विविधता में एकता की पहचान हमारी पूंजी है. हमारा सामाजिक ताना-बाना इस प्रकार मजबूत धागों से बुना हुआ है कि हम सब देशवासी मिलजुल कर रहने में ही विश्वास करते हैं. शायद विविधता में एकता की यही पहचान को दागदार करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोची समझी साजिश के तहत देश को अशांत करने की नाकाम कोशिश की जा रही है.
हम सभी को आपसी एकता को मजबूत करने की दिशा में आगे आना होगा. बहरहाल, साजिश चाहे जिस किसी की भी हो, लेकिन हमें सूझ-बूझ से काम लेते हुए क्षणिक घटनाओं पर प्रतिक्रियास्वरूप आपा नहीं खोना है, क्योंकि नुकसान हमारा ही होगा.
-विजय केसरी, हजारीबाग

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