13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

इश्क, इलेक्शन और इमोशनल अत्याचार

।। मो जुनैद ।। प्रभात खबर, पटना हमेशा सुबह–सुबह तेरा राम जी करेंगे बेड़ा पार.. सुननेवाले आज चुपके –चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है.. सुन रहे हैं. बड़ी हैरत हुई, इसलिए मैंने पूछा, क्यों भाई चिलमन! बुढ़ापे में आज बड़ा इमोशनल हो रहे हैं? इतना सुनते ही गुस्से से उनकी त्योरियां चढ़ गयीं. दांत […]

।। मो जुनैद ।।

प्रभात खबर, पटना

हमेशा सुबहसुबह तेरा राम जी करेंगे बेड़ा पार.. सुननेवाले आज चुपकेचुपके रात दिन आंसू बहाना याद है.. सुन रहे हैं. बड़ी हैरत हुई, इसलिए मैंने पूछा, क्यों भाई चिलमन! बुढ़ापे में आज बड़ा इमोशनल हो रहे हैं? इतना सुनते ही गुस्से से उनकी त्योरियां चढ़ गयीं.

दांत पीस कर बोले, अच्छा! राजस्थान मध्य प्रदेश की सभाओं में राहुल गांधी ने जो मार्मिक कहानी सुनायी वह क्या है? माना कि इश्क,इलेक्शन नचाये जिसको यार, वो फिर नाचे बीच बाजार.. लेकिन इमोशनल अत्याचार? एक तरफ लोकसभा चुनाव, तो दूसरी तरफ विधानसभा चुनाव.

नतीजतन दिल्ली, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्यप्रदेश मिजोरम की जनता से अचानक ग्रामीण से लेकर राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को पहली नजरवाला नहीं, बल्कि सोचासमझावाला इश्क हो गया है. आमजन की कद्र माशूका की तरह होने लगी है. प्याज, पेट्रोल पर कंट्रोल नहीं और जनता के लिए चांदतारे तोड़ कर लाने की बातें की जाने लगी हैं.

याद रखो, इश्क और इलेक्शन में इमोशनल अत्याचार का खेल खूब खेला जाता है. इनका आगाज अच्छा होता है, लेकिन अंजाम के बारे में किक्रेट की तरह जब तक आखरी गेंद नहीं फेंकी जाये, तब तक कुछ नहीं कह सकते. खैर, मनोरंजन के लिए देश के कई हिस्सों में सर्कस का मैदान बन कर तैयार है.

मदारी जमूरे का खेल देखने के लिए बस, ट्रेन निजी वाहनों की बुकिंग चालू है. मंच पर हल्ला बोल कॉमेडी भी देखनेसुनने को मिल रही है. कहीं युवराज, माताश्री दामाद जी निशाने पर हैं, तो कहीं विकास पुरुष गुजराती टाइगर की सीडी बांटी जा रही है.

पीएम उम्मीदवार की नजर में बसने के लिए जगहजगह तोरण द्वार, बैनर, पोस्टर से तो शहर की सूरत ऐसी हो जा रही है कि पता ही नहीं चल रहा है कि कौन नाला रोड है और किधर कैनाल रोड है. पांच साल पहले हम भी इसके शिकार हुए थे. सूरत देखी, सीरत. नेता जी के सात रंग के सपने में घरपरिवार छोड़ कर थाम लिया उनका झंडा. झंडे का पावर कहो या नेता जी का साथ.

मैं आसमान में सफर करने लगा. हर तरह का इमोशनल अत्याचार किया और सहा. लेकिन जिनके लिए गांववालों का भरोसा तोड़ा, पांच सौ से हजार रुपये प्रति फर्जी कार्यकर्ता लेकर गांधी मैदान कारगिल चौक पर भीड़ जुटायी, डांस, लजीज व्यंजन की व्यवस्था करायी, इलेक्शन के समय वोटरों को लुभाने के लिए पानी से ज्यादा शराब की आपूर्ति करायी, बोगस वोटिंग करा कर विजयी माला पहनायी, वही हम सबको छोड़ कर किसी और का हो गया.

जब जमीन पर पांव पड़े, तो दिल के अरमां आंसुओं में बह गये और बाथरूम में हम सिसकते रहे गये. अब तो इश्क, इलेक्शन का नाम सुनते ही दौरा पड़ने लगता है. दरअसल, कुछ रोगों से निजात दिव्य फार्मेसी की दवा दिला सकती है और आर्ट ऑफ लिविंग. ऐसे में बस यही म्यूजिक थेरेपी है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें