कहीं ‘रिजेक्ट ऑल’की जरूरत न पड़े

झारखंड में नयी सरकार के गठन के उपरांत मुख्यमंत्री एवं कुछ अन्य मंत्रियों के बयानों से उम्मीद जगी थी कि झारखंडवासियों की नियति अब कुछ करवट लेगी. लेकिन अब सौ दिन से अधिक बीत जाने के बाद सरकार की निष्क्रि यता एवं प्रमुख मुद्दों पर उनकी चुप्पी से जनता की उम्मीदें धूमिल हो रही हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 28, 2013 7:05 AM

झारखंड में नयी सरकार के गठन के उपरांत मुख्यमंत्री एवं कुछ अन्य मंत्रियों के बयानों से उम्मीद जगी थी कि झारखंडवासियों की नियति अब कुछ करवट लेगी. लेकिन अब सौ दिन से अधिक बीत जाने के बाद सरकार की निष्क्रि यता एवं प्रमुख मुद्दों पर उनकी चुप्पी से जनता की उम्मीदें धूमिल हो रही हैं.

ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सरकार सत्ता में बने रहने के लिए भ्रष्ट, स्वार्थी ताकतों के सामने घुटने टेक रही है. युवा मुख्यमंत्री के पास अब भी अवसर है कि वे स्थानीयता, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर यथाशीघ्र ठोस निर्णय लेकर झारखंड के असफल मुख्यमंत्रियों की श्रेणी में शामिल होने से बचें.

ताकि अगले विधानसभा चुनाव में झारखंड की जनता को विकल्पविहीन होकर वोटिंग मशीन पर रिजेक्ट ऑल का बटन दबाने के लिए मजबूर होना पड़े, इसकी भी जिम्मेवारी युवा मुख्यमंत्री की है.

विनय कुमार, दुमका

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