जिम्मेदार तरीके से पेश आये भाजपा
जब कोई एक-दो बार किसी की आलोचना तार्किक ढंग से करे, तो समझ में आता है. सुननेवाला व्यक्ति सोचता है कि बात सही है. लेकिन अगर आलोचक उस व्यक्ति की, जिसकी उसने आलोचना की है, के हरेक क्रियाकलाप को नकारात्मक रूप में लेकर बार-बार आलोचना करता है, तो सुननेवाले के कान खड़े हो जाते हैं. […]
जब कोई एक-दो बार किसी की आलोचना तार्किक ढंग से करे, तो समझ में आता है. सुननेवाला व्यक्ति सोचता है कि बात सही है. लेकिन अगर आलोचक उस व्यक्ति की, जिसकी उसने आलोचना की है, के हरेक क्रियाकलाप को नकारात्मक रूप में लेकर बार-बार आलोचना करता है, तो सुननेवाले के कान खड़े हो जाते हैं. वह समझ जाता है कि आलोचक स्वार्थवश, खुद को अच्छा साबित करने के लिए दूसरे की आलोचना किये जा रहा है. उसकी मंशा साफदिख जाती है. यह समझ में आने के बाद वह उस व्यक्ति से घृणा करने लगता है और धीरे-धीरे उससे दूर होता चला जाता है और आलोचक अलग-थलग पड़ जाता है.
कहीं ऐसा ही भारतीय जनता पार्टी के साथ भी न हो जाए. क्योंकि वह भी कुछ इसी दिशा में बढती हुई नजर आ रही है. भाजपा द्वारा कांग्रेस की आलोचना को यदि .अति. शब्द दिया जाये तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की ओर शहरी क्षेत्रों के युवा वर्ग का जो झुकाव अभी दिख रहा है और इसका जो सकारात्मक संदेश अन्य क्षेत्रों में भी जाने की उम्मीद बनती दिखायी दे रही थी, उस पर प्रश्न चिह्न् लगने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
नरेंद्र मोदी के अलावा इस पार्टी के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी तो कांग्रेस के खिलाफ आलोचना का कोई मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहते. प्रधानमंत्री को चोर कहे जाने के अपनी पार्टी के बयान की लोपापोती शाहनवाज हुसैन ने यह कह कर की कि प्रधानमंत्री ईमानदार हैं, पर कांग्रेस सरकार ईमानदार बिल्कुल नहीं है. क्या शाहनवाज जी देश को यह बता सकते हैं कि उनकी पार्टी के नेता कितने ईमानदार हैं? भाजपा जैसी जिम्मेदार पार्टी को अपने इस तरीके में बदलाव लाना उसके हित में होगा.
मोहम्मद सलीम, बरकाकाना