परदेस में पीड़ित झारखंड की बेटियां

झारखंड से लड़कियों की ट्रैफिकिंग नयी बात तो नहीं है, पर चिंताजनक अवश्य है. यह पहला मामला नहीं है जब ट्रैफिकिंग की शिकार बच्चियों को बचाया गया हो. इससे पहले भी इस तरह के मामले सामने आते रहे हैं. इस मामले में चिंताजनक पहलू यह है कि आखिर राज्य में इतने बड़े पैमाने पर लड़कियों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 31, 2013 3:40 AM

झारखंड से लड़कियों की ट्रैफिकिंग नयी बात तो नहीं है, पर चिंताजनक अवश्य है. यह पहला मामला नहीं है जब ट्रैफिकिंग की शिकार बच्चियों को बचाया गया हो. इससे पहले भी इस तरह के मामले सामने आते रहे हैं. इस मामले में चिंताजनक पहलू यह है कि आखिर राज्य में इतने बड़े पैमाने पर लड़कियों की ट्रैफिकिंग क्यों हो रही है? क्या यह सच सरकार को नहीं पता? रेस्क्यू कर दिल्ली से रांची लायी गयी आठ बच्चियों ने अपने साथ हुई अमानवीयता का जो किस्से सुनाये हैं वह वाकई दिल दहलाने वाला है.

यह बेहद शर्मनाक बात है कि गरीबी से लाचार मां-बाप अपने बच्चों को चंद रुपयों की खातिर किसी ऐसे आदमी के हवाले कर देते हैं जिसे वे जानते भी नहीं हैं. वह आदमी उन बच्चियों को अपने लालच की खातिर किसी के भी यहां नौकर के रूप में रखवा देता है. घर और मां-बाप से इतनी दूर ये लड़कियां दो वक्त की रोटी और चंद रुपयों की खातिर दिन-रात बेइंतहा जुल्म की शिकार होती हैं. ऐसे कितने मामले होते हैं जिसमें फुलीन की तरहबच्चियों की जिंदगी बच पाती है?

उन पर मानसिक-शारीरिक जुल्म करने वालों पर एफआइआर दर्ज होता है? फुलीन के शरीर पर लगा जख्म तो देखा जा सकता है पर जो मानसिक प्रताड़ना इस बच्ची ने सहन की, उसे देखना-समझना आसान नहीं है. वहशी मालकिन ने फुलीन के सिर, कान और होंठ पर जो जख्म दिये हैं उसकी सर्जरी तो करा दी जायेगी पर उसके अंदर जो दहशत का अंधेरा बैठ गया है वह कैसे मिटेगा? समाज कल्याण, महिला और बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए कहा है कि गर्ल ट्रैफिकिंग की समस्या से निबटने के लिए सभी सरकारी एजेंसियों को समन्वित प्रयास करना होगा.

इस समस्या को पंचायत स्तर पर रोकना होगा ताकि मासूम बच्चियां दलालों के चंगुल में न फंसे. मंत्री महोदया की यह पहल सराहनीय है पर इसमें निरंतरता की जरूरत है. एक ऐसे संकल्प की जरूरत है ताकि आगे भी बच्चियों की फूल सी जिंदगी तार-तार न हो. दो वक्त की रोटी के लिए उन्हें दर-दर की ठोकर न खानी पड़े. राज्य सरकार को चाहिए कि वह ऐसी समन्वित नीति बनाये जिससे न सिर्फ गर्ल ट्रैफिकिंग पर रोक लगे बल्कि पीड़ित लड़कियों के पुनर्वास की भी समुचित व्यवस्था हो.

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