सम्मान के बिना शांति असंभव
मनुष्य को मनुष्य के रूप में देखना और उसकी मदद करना ही मानवता है. जब तक आदमी दूसरे का आदर करना नहीं सीखेगा, तब तक संसार में शांति स्थापित नहीं की जा सकती है. यदि आज हम अपने से बड़ों का आदर करना शुरू कर देते हैं, तभी हमें दूसरों से भी सम्मान मिलेगा. वहीं […]
मनुष्य को मनुष्य के रूप में देखना और उसकी मदद करना ही मानवता है. जब तक आदमी दूसरे का आदर करना नहीं सीखेगा, तब तक संसार में शांति स्थापित नहीं की जा सकती है. यदि आज हम अपने से बड़ों का आदर करना शुरू कर देते हैं, तभी हमें दूसरों से भी सम्मान मिलेगा.
वहीं दूसरी ओर, यदि हम दूसरों से बुरा व्यवहार करते हैं, तो मन में खलबली मची रहती है. हमेशा इस बात की आशंका बनी रहती है कि कहीं कोई हमारे साथ भी दुर्व्यवहार न कर दे, क्योंकि उसे दूसरों के साथ किया गया व्यवहार हमेशा याद रहता है.
इसके विपरीत, यदि कोई व्यक्ति दूसरों का सम्मान करता है, तो उसे किसी से सम्मान पाने की न तो लालसा रहती है और न ही मन में किसी प्रकार की हलचल रहती है. जब मन में हलचल नहीं रहती है, तभी चित्त को शांति मिलती है. इसका अर्थ यह कि दूसरों का सम्मान करने से ही शांति मिलेगी, अन्यथा सम्मान के बिना शांति मिलना असंभव है.
-प्रेम रावत, ई-मेल से