टूट रही है सामाजिक समरसता
एक बात जो भारतीयों को पूरी दुनिया में खास बनाती है, वह है आपस में घुल-मिल जाने की आदत. यह खूबी किसी और देश के लोगों में इतने व्यापक स्तर पर नहीं पायी जाती. न जाने कितनी सदियों से भारत में अलग-अलग जगहों से विभिन्न धर्मों, संप्रदायों, जातियों, भाषाओं और वर्णों के लोग आकर बसे […]
एक बात जो भारतीयों को पूरी दुनिया में खास बनाती है, वह है आपस में घुल-मिल जाने की आदत. यह खूबी किसी और देश के लोगों में इतने व्यापक स्तर पर नहीं पायी जाती. न जाने कितनी सदियों से भारत में अलग-अलग जगहों से विभिन्न धर्मों, संप्रदायों, जातियों, भाषाओं और वर्णों के लोग आकर बसे और फिर अपनी पहचान उन्होंने एक भारतीय की बना ली.
छोटे-बड़े, हल्के-गंभीर मनमुटाव भी हुए, कई बार हिंसा और खून-खराबे भी हुए, लेकिन उसे जल्द खत्म करने के लिए सबने एक होकर समझदारी हमेशा दिखायी. दुनिया का कोई प्रमुख धर्म नहीं, जिसका भारत में पालन नहीं किया जाता. ऐसे अनूठे भारत में अगर यह आभास होता है कि किसी भी कारण से सामाजिक समरसता टूट रही है, तो विरोध के स्वर उठना स्वाभाविक है.
– अनिल सक्सेना, गया