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दीपोत्सव में केले के पेड़ की बलि क्यों?

दीपावली दीपों का त्योहार है. इस दिन लोग दीप जला कर बुराइयों को दूर भगाते हैं. मगर बुराई तब तक नहीं मिटेगी, जब तक हम अपने अंदर की बुराइयों को दूर न भगायें. दीपावली के दिन होनेवाली पूजा में लोग अपने घर और दुकान के आगे केले का पेड़ लगाते हैं. मैं पूछता हूं, क्या […]

दीपावली दीपों का त्योहार है. इस दिन लोग दीप जला कर बुराइयों को दूर भगाते हैं. मगर बुराई तब तक नहीं मिटेगी, जब तक हम अपने अंदर की बुराइयों को दूर न भगायें. दीपावली के दिन होनेवाली पूजा में लोग अपने घर और दुकान के आगे केले का पेड़ लगाते हैं.

मैं पूछता हूं, क्या यह अन्याय नहीं है? क्या इन पेड़ों से केले की उपज नहीं होती. एक तरफ हम पर्यावरण की रक्षा के लिए हजार बातें कहते हैं, लेकिन खुद ही पहल नहीं करते. बाजार में महंगाई बढ़ती है, तो हम सरकार को दोष देते हैं, नारे लगाते हैं.

केले का दाम दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, अगर ये पेड़ नहीं काटे गये होते, तो जरा सोचिए कि आनेवाले समय में कितने केले पैदा होते. अगर हर पूजा-विधि में हम इस तरह से पेड़ों को नुकसान पहुंचाने लगेंगे, तो वह दिन दूर नहीं जब हमारे आस-पास एक पेड़ भी नजर नहीं आयेगा.

मो रेहान हक, ई-मेल से

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