मूर्खो! मुझे सोने क्यों नहीं दिया?

।। विजय झा ।। प्रभात खबर, पटना जब से शोभन सरकार को सोने का सपना आया है, उस दिन से मैं काफी परेशान चल रहा हूं. कई सपने देख रहा हूं, लेकिन सोने का सपना नहीं देख पा रहा. टनों तो जाने दीजिए, दस साल की नौकरी के बाद भी 100 ग्राम सोना तक नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 5, 2013 4:53 AM

।। विजय झा ।।

प्रभात खबर, पटना

जब से शोभन सरकार को सोने का सपना आया है, उस दिन से मैं काफी परेशान चल रहा हूं. कई सपने देख रहा हूं, लेकिन सोने का सपना नहीं देख पा रहा. टनों तो जाने दीजिए, दस साल की नौकरी के बाद भी 100 ग्राम सोना तक नहीं खरीद पाया हूं.

बचपन से एमए तक अमीर बनने के लिए कई किताबें पढ़ीं, लेकिन कमबख्त एक भी किताब में ऐसी तरकीब नहीं थी, जिससे अमीर बन सकें. जब किताब पढ़ कर सो जाता था, तो रात को सपने में कई बार अमीर बना, लेकिन नींद खुलते ही मार पड़ने लगती थी.

उस समय पटना कॉलेजिएट के हॉस्टल में रहता था. उसके वार्डन बेहद कड़क थे. सोये हुए विद्यार्थियों का शिकार करना उनकी आदत में शुमार था. वे कहा करते थे कि मूर्ख लोग सोते हैं और बुद्धिमान लोग जाग कर पढ़ाई करते हैं. मैं उनकी बातों में गया और सोना छोड़ कर पढ़ाई करने लगा.

जब से सोने के सपने के बारे में सुना है, तब से वार्डन के साथ ही उन तमाम लोगों पर गुस्सा रहा है, जिन्होंने हमें सोने नहीं दिया. नीम पर करेला चढ़नेवाली बात यह हुई कि पत्रकार बन गया हूं.

रात को सोना नसीब नहीं होता और दिन के उजाले में ठीक से नींद नहीं आती. जब कोई समर्पित भाव से सोयेगा, तभी सोना मिलेगा . वैसे भी अखबार में मेरी जो जिम्मेदारी है, उसका तकाजा सपना देखना नहीं, सपना बेचना है. लोगों का डेली कैरियर बनाता हूं, लेकिन अपना नहीं. हर परीक्षा की तैयारी के बारे में जानकारी देता हूं. लेकिन एक भी परीक्षा पास नहीं कर पाया हूं.

अब गृहस्थी की परीक्षा भी पास नहीं कर पा रहा हूं. इतने कष्ट के बाद भी संतोष इसलिए कर रहा था कि वृक्ष कभी फल नहीं खाता है, नदी पानी नहीं पीती है और साधु की कभी अपनी संपत्ति नहीं होती है. लेकिन जब आसाराम बापू और निर्मल बाबा, बाबा रामदेव की संपत्ति के बारे में पता चला, तो बैचेन हो गया और पटना में एक साधु के पास पहुंच गया.

वह काफी व्यस्त चल रहे थे. हालांकि आज से दस वर्ष पहले जब मैं पटना आया था, तब वह मक्खी मारते थे. अब उनका पेशा बदल गया है, अब वह कई तरह के शिकार समयसमय पर करने लगे हैं. उन्होंने बताया कि आज वही आगे रह सकता है, जो साम, दाम, दंड, भेद अपनाता है.

अपनी सफलता के बारे में वह बोले कि मैं कभी आंखों से शिकार करता हूं, तो कभी बातों से, तो कभी लातों से. साधुसंत को जब तक आंख बंद करके इस देश में पूजनीय माना जायेगा, तब तक आसाराम बापू और निर्मल बाबा धरती पर आते रहेंगे और युवकयुवतियों पर कृपा करते रहेंगे.

भले ही मीडिया इसे यौन शोषण कहे, लेकिन भाजपा के शाइनिंग इंडिया की तरह यह शब्द भी इतिहास बन जायेगा. अंग्रेजी में एक कहावत का अर्थ है कि पैसे से पैसा बनता है, उसी तरह अब हिंदी कहावत बनेगी कि सोने से सोना मिलता है.

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