नेता नचावत सभन को, जनता उन्हें नचाय

सत्ता की मलाई के लिए पार्टियां और नेता बहुत बुरी तरह लालायित हैं. इसके लिए ये राजनेता कोई सार्थक कार्यक्रम न देकर ​सिर्फ ​जनता में जाति, धर्म, भाषा, धन और प्रांतीयता का जहर घोल रहे हैं. असल में, इन्हें सेवा से कोई मतलब नहीं. मतलब सिर्फ अपने स्वार्थ से है. ​शुरू में आम आदमी पार्टी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 11, 2015 4:37 AM

सत्ता की मलाई के लिए पार्टियां और नेता बहुत बुरी तरह लालायित हैं. इसके लिए ये राजनेता कोई सार्थक कार्यक्रम न देकर ​सिर्फ ​जनता में जाति, धर्म, भाषा, धन और प्रांतीयता का जहर घोल रहे हैं. असल में, इन्हें सेवा से कोई मतलब नहीं. मतलब सिर्फ अपने स्वार्थ से है.

​शुरू में आम आदमी पार्टी के विधायकों ने सिर्फ बीस हजार रुपये वेतन पर ही त्याग-तपस्या से सेवा का बीड़ा उठाया था​. अब वे ही वेतन-भत्ता 10-12 गुना बढ़ाने पर आतुर हैं. कुल मिला कर यह कि नेता चाहे किसी भी रूप में जनता के सामने आये, उसकी एक ही आकांक्षा सत्ता हासिल करने की होती है.

देश के राजनेता जनता को बांट कर नचाना चाहते हैं, लेकिन जनता नाचना भी जानती है और नचाना भी. बिहार के चुनाव में लोगों ने ऐसा ही किया, अब फिर दोबारा उन्हें नचाने का प्रयास नहीं करेंगे.

-वेद मामूरपुर, नरेला

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