दहेज प्रथा का उन्मूलन जरूरी
परिवार समाज का अभिन्न अंग है. बिना परिवार के किसी समाज की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती. परिवार के निर्माण में पुरुषों की जितनी अधिक भूमिका होती है, उससे कहीं अधिक भूमिका महिलाओं की होती है. एक पुरुष और महिला किसी अनजान परिवार से ताल्लुक रखते हैं, लेकिन विवाह के बाद दोनों पति-पत्नी के […]
परिवार समाज का अभिन्न अंग है. बिना परिवार के किसी समाज की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती. परिवार के निर्माण में पुरुषों की जितनी अधिक भूमिका होती है, उससे कहीं अधिक भूमिका महिलाओं की होती है. एक पुरुष और महिला किसी अनजान परिवार से ताल्लुक रखते हैं, लेकिन विवाह के बाद दोनों पति-पत्नी के रूप में जाने जाते हैं.
इन दोनों के मिलने के बाद ही परिवार की परिकल्पना पूरी होती है. यह हमारे समाज की विडंबना ही है कि दुनिया भर के समाज की इस सुंदर परिकल्पना को महज कुछ लालची लोग दहेज लेने के चक्कर में बरबाद करने पर तुले हैं.
दहेज के लिए परिवार के अहम सदस्य को मारने या प्रताड़ित करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं. आज अगर देश में भ्रूण हत्या का चलन बढ़ा है, तो इसके पीछे समाज की परिकल्पना को तार-तार करनेवाली इस दहेज प्रथा की अहम भूमिका है. आज यदि सही मायने में हमें अपने समाज के ताने-बाने को टूटने से बचाना है, तो दहेज प्रथा का समूल नाश करना होगा.
-मनोरथ सेन, जामताड़ा