बहुमत पर भी राष्ट्रपति नहीं होंगी सू की

पड़ोसी देश म्यांमार में लोकतंत्र की स्थापना हो रही है. संसद की 440 सीटें हैं, मगर चुनाव सिर्फ 330 पर हुए थे. इसका कारण यह है कि वहां की 25 प्रतिशत सीटें सैनिकों के लिए आरक्षित हैं. 330 में से करीब 90 फीसदी सीटों में लोकतंत्र के लिए अपना जीवन दावं पर लगानेवाली ओंग सान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 14, 2015 5:48 AM
पड़ोसी देश म्यांमार में लोकतंत्र की स्थापना हो रही है. संसद की 440 सीटें हैं, मगर चुनाव सिर्फ 330 पर हुए थे. इसका कारण यह है कि वहां की 25 प्रतिशत सीटें सैनिकों के लिए आरक्षित हैं. 330 में से करीब 90 फीसदी सीटों में लोकतंत्र के लिए अपना जीवन दावं पर लगानेवाली ओंग सान सू की की पार्टी एनएलडी ने जीत दर्ज की है. वैसे पहले के दो चुनावों में भी इन्हीं की पार्टी ने जीत दर्ज की थी, मगर सैन्य शासकों ने उन्हें सत्ता नहीं सौंपी.
इसे देखते हुए लगता नहीं कि इस बार भी उन्हें पूर्ण रूप से सत्ता सौंपी जायेगी. सू की की पारिवारिक पृष्ठभूमि को देखते हुए ही वहां के तानाशाही शासकों ने संविधान में ऐसा प्रावधान रखा है कि जिसका भी रिश्तेदार विदेशी होगा, उसे राष्ट्रपति का पद कभी नहीं मिलेगा. चूंकि सू की के पति ब्रिटिश मूल के हैं, उनके दो बेटे भी ब्रिटिश पासपोर्टधारी हैं. इसलिए प्रचंड बहुमत हासिल करने के बावजूद सू का वहां का राष्ट्रपति बनने में संदेह है.
-जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी

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