तुष्टीकरण की राजनीति बंद हो

कुरबान अली जी के विचार पूर्वग्रह से प्रेरित हैं. आजादी के पहले और बाद भी, सभी राजनीतिक पार्टियों ने हिंदुओं की उपेक्षा की. यहां तक कि गांधी जी ने अल्पसंख्यकों के नाम पर सिर्फ मुसलमानों के तुष्टीकरण की नीति अपनायी. विभाजन के वक्त पाकिस्तान से आये हिंदुओं और सिखों को गांधी जी ने मसजिदों में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 7, 2013 3:11 AM

कुरबान अली जी के विचार पूर्वग्रह से प्रेरित हैं. आजादी के पहले और बाद भी, सभी राजनीतिक पार्टियों ने हिंदुओं की उपेक्षा की. यहां तक कि गांधी जी ने अल्पसंख्यकों के नाम पर सिर्फ मुसलमानों के तुष्टीकरण की नीति अपनायी. विभाजन के वक्त पाकिस्तान से आये हिंदुओं और सिखों को गांधी जी ने मसजिदों में पनाह लेने से रोका था.

हिंदुस्तान एक मात्र ऐसा देश है, जहां बहुसंख्यकों की प्रताड़ना पर कोई सवाल नहीं उठा. लेकिन अल्पसंख्यकों के लिए हाय-तौबा मच गयी. जहां तक गोलवलकर जी की किताब की बात है, उसे यूनिवर्सल ट्रुथ मानने की जरूरत नहीं है. आइडियोलॉजी में समय के साथ परिवर्तन होता है. क्या चीन समय के साथ नहीं बदला? नरेंद्र मोदी को सजा नहीं सुनायी गयी है. उनकी छवि एक कुशल प्रशासक की है. भारतीय जनमानस ने तो आज तक महात्मा गांधी को भी राष्ट्र निर्माता के रूप में स्वीकारा नहीं है.
दिलीप मिश्र, गढ़वा.

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