राज्य के विकास की खातिर दें ध्यान

झारखंड राज्य काे बिहार से अलग हुए 15 साल पूरे हो गये. फिर भी आज यह विकास की बाट जोह रहा है. हालांकि, यहां के नीति-निर्धारक इसके विकास को लेकर कई तरह की योजनाएं बनाते हैं, लेकिन, इसका समग्र विकास तभी संभव है, जब कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान दिया जायेगा. वर्ष 2011 की जनगणना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 16, 2015 12:39 AM

झारखंड राज्य काे बिहार से अलग हुए 15 साल पूरे हो गये. फिर भी आज यह विकास की बाट जोह रहा है. हालांकि, यहां के नीति-निर्धारक इसके विकास को लेकर कई तरह की योजनाएं बनाते हैं, लेकिन, इसका समग्र विकास तभी संभव है, जब कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान दिया जायेगा.

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य की साक्षरता दर 67.63 फीसदी है. केरल की तरह झारखंड की साक्षरता दर को भी बढ़ा कर सौ फीसदी करने का प्रयास करना होगा. इसके अलावा, हमारे राज्य में महिला साक्षरता दर भी कम है. अभी महिलाओं की साक्षरता दर 56 फीसदी है. इसमें भी वृद्धि करनी होगी, ताकि महिलाएं घरेलू हिंसा, दुराचार और अन्य सामाजिक व घरेलू प्रताड़ना का डट कर मुकाबला कर सकें. राज्य में महिला साक्षरता में कमी का ही नतीजा है कि उन्हें समाज में उचित सम्मान नहीं मिल पाता है.

आम तौर पर बीते 15 सालों से हम लोगों ने झारखंड को रंग बदलते देखा है. विभिन्न दलों के नेताओं द्वारा विकास के बड़े-बड़े वादे किये जाते रहे हैं. यदि उन वादों को नेताओं द्वारा पूरा कर दिया जाता, तो हमारा राज्य भारत में सबसे अग्रणी होता. सबसे अहम बात यह कि हमारे यहां प्राकृतिक संपदाओं का भंडार है. इसके दोहन की दिशा में यहां की सरकार द्वारा कार्य किये भी जा रहे हैं. फिर भी मेरे विचार से इस दिशा में और कार्य करने की जरूरत है. इन सबके अलावा, राज्य में संयुक्त परिवार की परंपरा को एकबार फिर कायम करना होगा. एकल परिवार और युवाओं का दिशाहीन होना झारखंड की प्रमुख समस्या है.

आये दिन किसी न किसी घटना में यहां के युवाओं की भूमिका अहम देखी जा रही है. यदि युवाओं की श्रमशक्ति का उपयोग उनके योग्यतानुसार काम देकर किया जाये, तो राज्य को कई प्रकार के लाभ मिल सकते हैं. सरकार को इन सुझावों पर ध्यान देना चाहिए.

उत्तम कुमार मुखर्जी, बांसडीह, गुमला

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