यौन उन्मुक्तता के लिए कौन है दोषी ?

यौन शोषण, छेड़छाड़, बलात्कार आदि की घटनाएं भारतीय समाज में अब आम हो गयी हैं. यह हमारे देश के लिए बड़े शर्म की बात है. दरअसल यह बहुत ही विकट समय है. पतनशील समाज का इससे बेहतर उदाहरण नहीं हो सकता. नैतिक शिक्षा से हम कोसों दूर हो गये हैं. इस पर न परिवार-समाज ध्यान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 11, 2013 3:13 AM

यौन शोषण, छेड़छाड़, बलात्कार आदि की घटनाएं भारतीय समाज में अब आम हो गयी हैं. यह हमारे देश के लिए बड़े शर्म की बात है. दरअसल यह बहुत ही विकट समय है. पतनशील समाज का इससे बेहतर उदाहरण नहीं हो सकता.

नैतिक शिक्षा से हम कोसों दूर हो गये हैं. इस पर न परिवार-समाज ध्यान देता है और न शिक्षण संस्थाएं. हम बच्चों को इस तरह तैयार करते हैं कि वे अधिक से अधिक धन अर्जित कर सकें. सहिष्णुता, संयम, त्याग, परोपकारिता, संवेदनशीलता इत्यादि को रूढ़िवादिता का प्रतीक मान लिया गया है. पिछले कुछ वर्षो में न्यायपालिका ने भी ‘आजादी’ के नाम पर यौन उन्मुक्तता को हरी झंडी दी है. यौन-उन्मुक्त भारत पश्चिमी देशों की नकल कर रहा है. लड़के-लड़कियां सब इस रंग में रंगते जा रहे हैं. अगर आप इनके समूह में नहीं हैं, तो आप पिछड़े कहे जाते हैं.

रूपलाल बेदिया, ई मेल से.

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