सड़कों से गायब होते फुटपाथ

तेज रफ्तारवाली सड़कें विकास को गति देनेवाली हो सकती हैं, लेकिन पैदल यात्रियों के लिए फुटपाथों का होना भी बहुत जरूरी है. इस देश में फुटपाथों को नजरअंदाज कर विकास की बात सोचना बेमानी साबित हो सकती है. फुटपाथ केवल राजधानी की मुख्य सड़कों से ही गायब नहीं हुए, बल्कि लगभग हर मार्ग से लुप्त […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 21, 2015 12:57 AM

तेज रफ्तारवाली सड़कें विकास को गति देनेवाली हो सकती हैं, लेकिन पैदल यात्रियों के लिए फुटपाथों का होना भी बहुत जरूरी है. इस देश में फुटपाथों को नजरअंदाज कर विकास की बात सोचना बेमानी साबित हो सकती है. फुटपाथ केवल राजधानी की मुख्य सड़कों से ही गायब नहीं हुए, बल्कि लगभग हर मार्ग से लुप्त होते जा रहे हैं.

इनसानों की बढ़ती आबादी और वाहनों के बढ़ते बोझ ने सड़कों को संकरा बना दिया है. ऐसे में अतिक्रमण भी बढ़ गया और फुटपाथ पूरी तरह से गायब हो गये. आम तौर पर देश या राज्य की राजधानी, महानगरों, शहरों, छोटे कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए फुटपाथ एक समान महत्व रखते हैं. हर जगह पर वाहनों को चलने के लिए सड़कें और पैदल चलनेवालों के लिए फुटपाथ का होना जरूरी है. बात अगर हम झारखंड की राजधानी रांची की बात करें, तो यहां के अधिकतर स्थानों से फुटपाथ गायब हो चुके हैं. हो यह रहा है कि जो नयी सड़कें बनायी जा रही हैं, उनके लिए फुटपाथ का प्रबंध नहीं किया जा रहा है. हां, सड़क निर्माता सड़कों के किनारे मिट्टी और मोरम डाल कर फुटपाथ बनाने की औपचारिकताएं पूरी कर दे रहे हैं, जिनका निशान कुछ ही दिनों में मिट जाता है.

यही नहीं, महत्वपूर्ण पथों से आगे आते-जाते फुटपाथ की जगह को यथासंभव रिक्शा, टैंपो, फल विक्रेताओं, फास्ट फूड के ठेलों और कचरों के ढेर लगभग पूरी तरह से अपने कब्जे में ले लेते हैं. बाकी कसर सड़क किनारे दो-चार पहिया वाहनों की पार्किंग पूरी कर देते हैं. इसके लिए प्रशासन भी जिम्मेवार है, जिसकी अनदेखी ने फुटपाथ की अहमियत को शून्य कर दिया है. नतीजा, पैदल चलनेवाले बीच सड़क पर चलने को मजबूर हैं. विकास को गति देनेवाली सड़कों की तर्ज पर फुटपाथ के लिए व्यापक नीति बननी चाहिए. आखिर पैदल चलनेवालों को भी तो फुटपाथ पर चलने का हक मिलना चाहिए.

Àएमके मिश्रा, रांची

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