एक रफूगर की तलाश है..
।। चंचल।।(सामाजिक कार्यकर्ता)किस्सा वही पुराना है. मियां उसे बाद में बताना, पहले ररा नाऊ को सुन लिया जाय, काहे से कि उसे सैलून खोलना है. पंचाइत का मुंह जो कयूम की तरफ था, घूम कर ररा नाई की तरफ हो गया. गोकि कई लोगों को इस तबादले ‘पोजीशन’ में दिक्कत दर पेश आयी. कोलई दूबे […]
।। चंचल।।
(सामाजिक कार्यकर्ता)
किस्सा वही पुराना है. मियां उसे बाद में बताना, पहले ररा नाऊ को सुन लिया जाय, काहे से कि उसे सैलून खोलना है. पंचाइत का मुंह जो कयूम की तरफ था, घूम कर ररा नाई की तरफ हो गया. गोकि कई लोगों को इस तबादले ‘पोजीशन’ में दिक्कत दर पेश आयी. कोलई दूबे की धोती जो बेंच के ‘फांस’ में फंसी पड़ी थी, वह मसक गयी. लिहाजा उन्हें खड़ा होना पड़ा और गर्दन को पीछे की तरह से मोड़ा जैसे वहां, पीछे कोइ बड़ी वारदात हो गयी हो. मद्दू जो पत्रकार भी हैं, ने मइके को लपक लिया- वाह गुरु हू ब हू खजुराहों लग रहे हो. कोलई का उखड़ना बनता था.
मामूली धोती नहीं है, जो अभी फटी है कंधे कौच्का कर बोले- कुतिया छाप मारकीन नहीं है. कुछ और बोलते, लेकिन उधर मामला और भी पेचीदा हो चुका है. ररा की बात सुनने के लिए लखन ने जब ईंट को ही घुमाना चाहा, जिस पर वो बैठे तो ईंट बेकाबू हो गयी और बगल में पड़े लम्मरदार के सोंटे से टकरा गयी. चूंकी सोंटों में लचक तो होती नहीं. चुनाचे सोंटा उठा और तड़ाक से लम्मरदार के ही ‘नरहड’ से जा टकराया (नरहड कहते हैं पैर के घुटने और ऐड़ी के बीच की वह हड्डी जो सामने रहती है. इसकी मुकम्मल जानकारी पुलिस के पास होती है). अव्वल तो लम्मरदार को कुछ समझ में ही नहीं आया कि यह हुआ क्या क्योंकि चोट में दम था और जब चोट में दम होता है, चोट सबसे पहले मां को बुलाती है. चाहे वह कुकुर हो चाहे लम्मरदार. भाषा अलग हो सकती है लेकिन चीख की गति एक ही होती है. लम्मरदार चीखे -अरे माई रे. कई हाथ बढ़ गये लम्मरदार के पैर की तरफ. ज्यों-ज्यों दर्द कम होता गया लम्मरदार की जुबान कैंची होती गयी. इस कैंची ने कई बार खुल्लाल खुल्ला लखन की मां के साथ कई तरह के रिश्ते जोड़े. फिर लम्मरदार पलते ररा नाई की तरफ. इसी बीच आसरे ने चाय बांटनी शुरू कर दी.
लो लम्मरदार चाय पियो सब दर्द गायब .’चाय इतनी कमाल की चीज होती है? उमर दरजी जन्म क मुरहा है. बरबखत कुबात बोलता है. तुम का जानो चाय की महिमा. चाय पिलाय के नखडू परधान हो गया. इसकी तासीर में गजब की .. दरबारी मास्टर अभी अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाए थे कि किन उपधिया हत्थे से उखड़ गये -आस्तर सुना जाय, हम बेवकूफ ना हैं आप कहां से बोल रहे हैं हम सब समझ रहे हैं. इस बखत चाय पे बहस चलाने से क्या मतलब? ऊ बचपन में चाय भले बचत रहा मुला बेमानी त ना करत रहा. आपन पार्टी देखो, करोड़ों खा के डकार तक .. किसकी बात कर रहे हो भाई? ऊ अपने नेता को समझ लिये. बस. छोड़ो उसे. ररा को सुना जाय. बोलो ररा क्या कह रहे थे? बोफोर्स गया रहा डिल्ली. (बोफोर्स ररा नाई का लड़का है, यह उसी दिन पैदा हुआ था जिस दिन वीपी सिंह ने बोफोर्स का कागद खीसे से निकाल कर दिखाया था.
यह बात दीगर है कि उसे कोइ माई क लाल आज तक नहीं पढ़ पाया जबकि उसके चलते एस सरकार बदल गयी. आर ररा की बीवी ने एक बच्चे को जनम तक दे दिया और अब वह दिल्ली में किसी सैलून में ‘बंगला’ काटता है) पूरे सात महीने बाद लौटा है. बता रहा था कि उसने वहां पर जयप्रकाश नारायण को देखा. उनके पीछे बैताली झोला लटकाये रेसकोर्स का रास्ता पूछ रहा है. जयप्रकाश नारायण उसे सलाह दे रहे हैं कि रेस कोर्स का झंझट छोड़. जाकर आपनी घर देख. बाप नाराज होकर घर छोड़ गया है, उसे मना. संजय तोर भाई रहा उसे बेदखल किये हो,उसे खोज. अपनी औरत के बुला ला, और एक बात कान खोल के सुन ले ‘उधार के बाप से न वरासत बदलती है, न ही वसीयत मिलती है .. बोफ्स्र्वा कहत रहा बैतालिया क दाढ़ी बहुत बढ़ गयी रही, हम दौड़े कि उसे बना दें पर जब तक हम पहुंचते तब तक ऊ टेशन की तरफ बढ़ गया रहा. लम्मरदार से नहीं रहा गया – अबे ररा के बच्चे! जे पीकेमारे कितना दिन हुआ? कुछ मालुम है?
औ तै कहत बाते कि ऊ बैताली से मिले रहे. अबे चल सैलून . / चिखुरी ने रोका – देख भाई लम्मरदार ये जमाना ही कुछ अंड-बंड हो गया है. एक ने तो यहां तक कह डाला कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी और विवेकानंद के बीच बातचीत होती थी. और मुखर्जी वही करते थे, जो विवेकानंद जी सलाह देते. तो ररा ने अगर यह कह दिया तो क्या गलत कहा? लम्मरदार ने बड़े सलीके से कहा -भाई बड़े लोगों के पास बातों के रफूगर होते हैं. बहुत महीन रफू करते हैं. पिछली बार रफू किया न कि सिकंदर बिहार के डर से भागा था. क्योंकि ङोलम तक बिहार था. यह भी रफू हो जायेगा. नवल ने वाजिब सवाल उठाया- रफू सीखने का कोइ इसकूल है, कयूम मुस्कुराये – दाखिला लेना है का बेटा? तो पहले यह तय कर लो रफू क्या करना है? कयूम की बात नवल समझ चुके थे. कयूम की तरफ मुस्कुराकर देखे और जाते-जाते एक झटका दे गये – मोरा सैयां गवन लिए जाय ,करौना की छैयां छैयां ..