भ्रष्टाचार ही राज्य के विकास में बाधक

झारखंड का स्थापना दिवस करीब है. एक बार फिर से दुनियाभर के विशेषज्ञ अपने-अपने तरीके से विेषण कर रहे हैं. इन 13 वर्षो में झारखंड कहां पहुंचा? मेरा अपना मानना है कि राज्य की दुर्दशा का मूल कारण भ्रष्टाचार है. यहां के अधिकतर नेता अवसरवाद और भ्रष्टाचार के दलदल में फंसे हुए हैं. झारखंड की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 13, 2013 4:00 AM

झारखंड का स्थापना दिवस करीब है. एक बार फिर से दुनियाभर के विशेषज्ञ अपने-अपने तरीके से विेषण कर रहे हैं. इन 13 वर्षो में झारखंड कहां पहुंचा? मेरा अपना मानना है कि राज्य की दुर्दशा का मूल कारण भ्रष्टाचार है. यहां के अधिकतर नेता अवसरवाद और भ्रष्टाचार के दलदल में फंसे हुए हैं. झारखंड की स्थापना के बाद लोगों ने एक बेहतर जीवन जीने की कल्पना की थी.

दुर्भाग्य से यह सपना धरा का धरा रह गया. राजनीतिक क्षेत्र में दलगत अवसरवादिता इस कदर हावी हो गयी है कि अब किसी भी राजनेता और कार्यकर्ता में इतना साहस नहीं बचा है कि वह आम जनता की समस्याओं को उठाये और उसका समाधान निकाले. राजनेता अपने स्वार्थो की पूर्ति करने में लगे हैं. दलित, मजदूर, किसान वर्ग बदहाल हैं. क्या एक बार फिर से भ्रष्टाचारियों के खिलाफ आंदोलन चलाने की जरूरत नहीं है?

परीक्षित मंडल, पथरा, गोड्डा.

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