सचिन क्रिकेटर ही नहीं, कुछ और भी

।। बृजेंद्र दुबे।।(प्रभात खबर, रांची)बहुत कम लोग होते हैं, जिनको जीते जी इतना सम्मान मिलता है. मुङो याद है कि पूरा देश मौजूदा दौर के महानतम क्रिकेटर सचिन तेंडुलकर की विदाई बेला में भावुक हो रहा है. भावुक हो भी क्यों न, ये सचिन ही हैं, जिन्होंने निराशा के इस दौर में भी अपनी एक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 14, 2013 3:53 AM

।। बृजेंद्र दुबे।।
(प्रभात खबर, रांची)
बहुत कम लोग होते हैं, जिनको जीते जी इतना सम्मान मिलता है. मुङो याद है कि पूरा देश मौजूदा दौर के महानतम क्रिकेटर सचिन तेंडुलकर की विदाई बेला में भावुक हो रहा है. भावुक हो भी क्यों , ये सचिन ही हैं, जिन्होंने निराशा के इस दौर में भी अपनी एक ऐसी फैन फालोइंग बनायी, जो सदियों में किसी को नसीब होती है. मैंने क्रिकेट की तीन पीढ़ियां देखी हैं. बिशन सिंह बेदी की पीढ़ी के दौर में मैं क्रिकेट कुछकुछ समझने लगा था. इसी बीच फुटकर में देश में कई महान से महानम खिलाड़ी क्रिकेट में आये.

गावस्कर
हों या कपिल देव सबने देशवासियों का अपने खेल से मनोरंज किया. लेकिन, सचिन जैसा कोई नहीं रहा. सचिन ने जब से क्रिकेट को अलविदा कहने का एलान किया है, देश भावुक है. कोलकाता में तो गलत आउट देने पर गजोधर रोने लगे थे. मुझसे मुखातिब गजोधर ने कहा, देखियेगा सचिन मुंबई में शतक के साथ बल्ला खूंटी पर टांगेंगे. वो अपने फैंस को बड़ा तोहफा देंगे. मैंने भी उनके सुर में सुर मिलाया और कहाहां, सचिन ने अपने पूरे कैरियर में पूरी शिद्दत और गरिमा के साथ क्रिकेट खेला और कबीर बाबा की तरह जस की तस धर दीन्हि चदरिया.. अब गजोधर भाई चालू.., सही है बहुत कम लोग होते हैं, जिन्हें ऐसा मौका मिलता है और हम जिसके जाने के गम में डूब जाते हैं.

देश का पीएम कहता है कि मेरी ईमानदारी पर शक मत कीजिए. लेकिन, हम शक करते हैं, हालांकि हमारे पास उसका कोई ठोस सबूत नहीं होता. सचिन को उनके खराब परफॉर्मेस के दौर में लोगों ने सलाह दी कि अब उन्हें युवा पीढ़ी के लिए मैदान छोड़ देना चाहिए. तब सचिन का जवाब था, जब तक शरीर साथ देगा, खेलता रहूंगा. मैं क्रि केट के ही लिए बना हूं. लेकिन, हम लोग किसी की फार्म गड़बड़ाने पर उसका तिरस्कार करते ही हैं. आप ऐसे किसी महान महान स्टार के किसी कमजोर प्रदर्शन की चर्चा कीजिए. फार्म गड़बड़ायी नहीं कि उसके फैन मुंह मोड़ लेते हैं.

लेकिन, सचिन के मामले में यह बात नहीं है. उनका दरजा बरकरार है और आगे भी रहेगा. उन्हें क्रिकेट का भगवान कहा जाता है. ओशो के प्रशंसकों ने जब उन्हें भगवान कहा, तब खूब आलोचना हुई , क्योंकि मनुष्य को भगवान नहीं माना जा सकता. पर सचिन को भगवान कहने पर किसी को कभी आपत्ति नहीं. उनके तो मंदिर भी बन चुके हैं. सचिन से प्रेम दीवानगी के पीछे तर्क काम नहीं करते. बहुतों के लिए सचिन की विदाई बेला ईष्र्या का कारण भी है. लेकिन, भावुक गजोधर ने खरामाखरामा जाने से पहले इकबाल का शेर पढ़ कर दिल को तसल्ली दी.

हजारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पे रोती है।

बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा।।

देखना है क्रिकेट का अगला भगवान कब पैदा होता है…

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