आखिर कहां पर हो रहा है विकास?

इस समय देश में सुधारवादी प्रक्रिया जोरों पर है. सरकारी स्तर पर हर ओर सुधार कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. हालांकि, सरकार की ओर से ये सुधार कार्यक्रम जनता के लिए चलाये जा रहे हैं, लेकिन उसका फायदा उन तक पहुंचने के आसार अभी दिखाई नहीं दे रहे हैं. इसका प्रमुख कारण देश की राजनीति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 28, 2015 1:11 AM

इस समय देश में सुधारवादी प्रक्रिया जोरों पर है. सरकारी स्तर पर हर ओर सुधार कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. हालांकि, सरकार की ओर से ये सुधार कार्यक्रम जनता के लिए चलाये जा रहे हैं, लेकिन उसका फायदा उन तक पहुंचने के आसार अभी दिखाई नहीं दे रहे हैं. इसका प्रमुख कारण देश की राजनीति का पटरी से हट जाना है.

आज देश का हर नेता यहां की जनता की तरक्की का उपाय करने के बजाय अपनी ही तरक्की का तरकीब सोच रहा है. यहां के राजनेता जनता को हमेशा विकास का सपना दिखा रहे हैं, लेकिन अभी तक किसी को कहीं पर विकास कार्य दिख नहीं रहे हैं. ये विकास कार्य किन स्थानों पर कराये जा रहे हैं, किसी को पता नहीं है. देश की जनता के नाम पर लूट-खसोट और भ्रष्टाचार हो रहा है, जबकि देश की जनता का हाल बेहाल है. महंगाई से लोग-बाग परेशान हैं, लेकिन इसकी सुध किसी को नहीं है. सरकारी विभागाें में हर काम के बदले रिश्वत देनी पड़ रही है, लेकिन कोई उसकी चिंता करनेवाला नहीं है. हां, यह बात अलग है कि देश के नेता भ्रष्टाचार मिटाने के लिए संकल्प लेते हुए दिख जाते हैं, लेकिन वास्तव में स्थिति कुछ और ही है.

सबसे बड़ी बात यह है कि लाभ को लेकर कोई भी नेता किसी से पीछे नहीं रहना चाहता. अधिक से अधिक निजी लाभ पाने को लेकर ही उनमें आपसी मतभेद भी दिख रहे हैं, लेकिन जनता को लाभ देने पर कोई विचार नहीं कर रहा है. विपक्ष राजनीतिक लाभ पाने के लिए सरकार की टांग खिंचाई में लगा है, तो सत्तापक्ष में शामिल लोग निजी लाभ अधिक देख रहे हैं. इस बीच जनता की कोई सुध नहीं ले रहा है. आज राजनेताओं के अनर्गल राग में सुर से सुर मिला कर खुद को भटकाने के बजाय विकास कार्यक्रमों का जायजा लेने की जरूरत है. आज जरूरत देश की जनता को जागरूक होने की है.

À संघर्ष यादव गोलू, ई-मेल से

Next Article

Exit mobile version