आसमान छूतीं ‘सेलिब्रिटी’ सब्जियां

वैसे तो भारत को कृषि प्रधान देश माना जाता है, लेकिन आजकल इसे सेलिब्रिटी प्रधान देश भी कहना गलत नहीं होगा. देश में आत्महत्या करते किसान और बढ़ती महंगाई पर चर्चा हो न हो, लेकिन सेलिब्रिटी के बाल झड़ने की भी चर्चा होती है. ऐसा नहीं होता, तो देश के लिए खेलनेवाले सचिन की तरह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 16, 2013 3:26 AM

वैसे तो भारत को कृषि प्रधान देश माना जाता है, लेकिन आजकल इसे सेलिब्रिटी प्रधान देश भी कहना गलत नहीं होगा. देश में आत्महत्या करते किसान और बढ़ती महंगाई पर चर्चा हो न हो, लेकिन सेलिब्रिटी के बाल झड़ने की भी चर्चा होती है. ऐसा नहीं होता, तो देश के लिए खेलनेवाले सचिन की तरह देश में मरनेवाले किसान भी चर्चा का विषय होते. खैर, सचिन के अलावा कुछ और भी है जो आजकल कम चर्चा का विषय नहीं है. आलू और प्याज. लगातार आसमान छूती इनकी कीमतों ने इन्हें भी सेलिब्रिटी बना दिया है.

प्याज तो पहले ही महंगाई का विश्व रिकॉर्ड बना कर सेलिब्रिटी बन चुका है और अब आलू भी इस दौड़ में शामिल हो गया है. बल्कि आलू की दौड़ तो इतनी तेज है कि कुछ दिनों में यह आम आदमी की थाली से गायब हो जायेगा और लोग इसे खबरों में ही देख पायेंगे. बाकी हरी सब्जियां भी दौड़ में ज्यादा पीछे नहीं हैं. झारखंड के मुख्यमंत्री, दीदी (ममता बनर्जी) को पत्र लिख कर बंगाल से आलू भेजने का आग्रह कर रहे हैं, उन्हें राज्यों के रिश्ते की दुहाई दे रहे हैं, लेकिन राज्य में खेती को बढ़ावा देने के क्षेत्र में कितनी उदासीनता है, वह इन आंकड़ों से साफ झलकता है.

झारखंड का क्षेत्रफल 79 लाख हेक्टेयर है, जिसमें 38 लाख हेक्टेयर भूमि खेती योग्य है, जबकि सिर्फ 18 लाख हेक्टेयर पर ही खेती होती है. उसमें भी 92 प्रतिशत भूमि बारिश पर निर्भरता के कारण असिंचित रह जाती है. ऐसे में यदि झारखंड को जरूरत के 50 प्रतिशत आलू के लिए बंगाल पर निर्भर रहना पड़े तो इसमें आश्चर्य की बात नहीं है. इधर केंद्र सरकार को भी प्याज के दाम पर काबू करने से आसान लगता है, प्याज की दुकान लगाना. जाहिर सी बात है, मंशा प्याज की दुकान के बहाने राजनीति की दुकान चलाने की है.

अभिषेक आनंद, सरायढेला, धनबाद

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