आतंकवाद को धर्म से जोड़ना गलत

जिस दिन हम आतंक को धर्म से जोड़ देंगे, उसी दिन हम आतंकियों के जाल में फंस जायेंगे. सियासी स्वार्थ के लिए आतंकवाद को मजहब या धर्म के चश्मे से न देखें. विभिन्न भाषाओं, धर्मों व जातियों के होने के बावजूद भारत की सांस्कृतिक व सामाजिक एकता व आपसी सौहार्द के कारण आतंकवादी गुट देश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 3, 2015 1:13 AM

जिस दिन हम आतंक को धर्म से जोड़ देंगे, उसी दिन हम आतंकियों के जाल में फंस जायेंगे. सियासी स्वार्थ के लिए आतंकवाद को मजहब या धर्म के चश्मे से न देखें. विभिन्न भाषाओं, धर्मों व जातियों के होने के बावजूद भारत की सांस्कृतिक व सामाजिक एकता व आपसी सौहार्द के कारण आतंकवादी गुट देश के युवाओं को भ्रमित करने में असफल रहे हैं.

इसलाम शांति व भाईचारे का संदेश देने वाला धर्म है और मुसलिम शांति प्रिय हैं, जो हिंसा और आतंकवाद का विरोध करते हैं. हमें यह याद रखना चाहिए कि इसलाम में सामाजिक न्याय, आर्थिक समानता, लैंगिक समानता और जनतांत्रिक मूल्यों को तवज्जो दी गयी है. शांति व स्थिरता का संदेश दिया गया है. इन्हें प्रभावशाली बना कर धर्म का दुरुपयोग करनेवाले तत्वों को पराजित किया जा सकता है.

– अमृत कुमार, डकरा, खलारी

Next Article

Exit mobile version