क्या शिक्षक सम्मान लायक बचे हैं ?
हमारे प्राचीन ग्रंथों में शिक्षक यानी गुरु को ब्रह्म, विष्णु और महेश से भी बढ़ कर उपाधि दी गयी है. लेकिन, क्या वास्तव में आज के शिक्षकों में ऐसे गुण रह गये हैं, जिससे उन्हें ईश्वर से भी बढ़ कर आदर मिले? बात चाहे सरकारी स्कूल के शिक्षक की हो या निजी स्कूल के शिक्षक […]
हमारे प्राचीन ग्रंथों में शिक्षक यानी गुरु को ब्रह्म, विष्णु और महेश से भी बढ़ कर उपाधि दी गयी है. लेकिन, क्या वास्तव में आज के शिक्षकों में ऐसे गुण रह गये हैं, जिससे उन्हें ईश्वर से भी बढ़ कर आदर मिले?
बात चाहे सरकारी स्कूल के शिक्षक की हो या निजी स्कूल के शिक्षक की या किसी कोचिंग संस्थान में ही पढ़ानेवाले शिक्षक की ही, आज इनमें से 90 प्रतिशत प्रोफेशनल हो चुके हैं. उन्हें अपने कर्तव्य से अधिक पैसे की फिक्र रहती है. तय समय के बाद विद्यार्थी की किसी समस्या के समाधान के लिए उनके पास एक मिनट का भी वक्त नहीं होता.
बात अगर सरकारी स्कूल के शिक्षकों की करें, तो उनमें से अधिकतर ऐसे हैं जो सरकारी संपत्ति का उपयोग अपने निजी हितों के लिए करते हैं. जैसे मिड-डे-मील के राशन को बेच कर अपनी जेबें गर्म करना. तो ऐसे शिक्षकों से समाज को क्या दिशा मिलेगी?
जीवलाल महतो, रामगढ़