निकम्मे अफसरों पर कसें नकेल

झारखंड के बारे में ऐसी धारणा बन गयी है कि यहां हाइकोर्ट और मीडिया सक्रिय नहीं रहें, तो कोई काम नहीं होनेवाला. लेकिन अब तो स्थिति यह है कि हाइकोर्ट के आदेश की भी सरकार व अधिकारियों को परवाह नहीं. राजधानी रांची में यातायात की जो समस्या है, उस पर हाइकोर्ट ने कई बार आदेश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 22, 2013 2:59 AM

झारखंड के बारे में ऐसी धारणा बन गयी है कि यहां हाइकोर्ट और मीडिया सक्रिय नहीं रहें, तो कोई काम नहीं होनेवाला. लेकिन अब तो स्थिति यह है कि हाइकोर्ट के आदेश की भी सरकार व अधिकारियों को परवाह नहीं. राजधानी रांची में यातायात की जो समस्या है, उस पर हाइकोर्ट ने कई बार आदेश दिया. अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया. बीच चौक पर गाड़ियां खड़ी नहीं करने का आदेश दिया.

एक बार तो हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने खुद खादगढ़ा बस स्टैंड का निरीक्षण किया और अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया. पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया. अधिकारी सिर्फ दिखाने के लिए छोटी-छोटी कार्रवाई करते रहे. हरमू नदी से अतिक्रमण हटाने, खटाल हटाने, ओवरब्रिज पर गाड़ी खड़ी नहीं करने और इस्लामनगर के लोगों को बसाने का आदेश भी कोर्ट ने दिया था. ये आदेश धरे के धरे रह गये. इन आदेशों का पालन कराने की जिम्मेवारी सरकार की है. किसी को चिंता नहीं है. अधिकारियों को जब कोर्ट बुलाता है, डांटता है तो सिर झुका कर चुपचाप सुन लेते हैं. इनका कुछ बिगड़ता नहीं है. इससे यह संदेश जा रहा है कि अब अधिकारियों का कोर्ट भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता. सबसे खराब स्थिति यातायात की है.

सरकार चाहे तो सब ठीक हो जायेगा. कड़क ट्रैफिक एसपी शहर में रहे और तय कर ले कि जो भी नियम तोड़ेगा, उसे नहीं छोड़ेंगे, तो स्थिति बदल सकती है. लेकिन पुलिस पैसा लेकर आटो व बसों को चौक-चौराहों पर खड़ा करवाती है. मंत्री-अधिकारी यह जानते हैं, पर कुछ नहीं करते. सड़क पर दुकान लगा कर जो जाम लगाते हैं, वैसे दुकानदारों कासामान जब्त करना होगा. अतिक्रमण करनेवाले बड़े दुकानदारों को भी नहीं छोड़ना होगा. कड़ाई करने पर आटो चालक हड़ताल की धमकी देते हैं और प्रशासन झुक जाता है. अगर सरकारी पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम बेहतर होता तो ऐसी मजबूरी पेश नहीं आती. नदी पर कब्जा है. रोज नापी होती है. कार्रवाई नहीं होती. इस्लामनगर के लोग अब भी सिर पर छत का इंतजार कर रहे हैं. अक्षम और निष्क्रिय अफसरों को जब तक दंडित नहीं किया जायेगा, सुधार नहीं होगा. हाइकोर्ट के आदेश का पालन अगर अधिकारी या सरकार नहीं करेंगे, तो राज्य कहां जायेगा?

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