बदलता रहता है जिंदगी का मौसम

मुकुल श्रीवास्तव स्वतंत्र टिप्पणीकार सर्दियों का मौसम आ गया है. आप सोच रहे होंगे कि मैं कौन-सी नयी बात बता रहा हूं. दरअसल, सर्दियों में रजाई लपेटे हुए मैंने फिल्मी गानों से इस मौसम के फलसफे को समझने की कोशिश की है. सेहत, खान-पान और काम-काज के लिहाज से सर्दी का मौसम बहुत ही अच्छा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 9, 2015 5:10 AM

मुकुल श्रीवास्तव

स्वतंत्र टिप्पणीकार

सर्दियों का मौसम आ गया है. आप सोच रहे होंगे कि मैं कौन-सी नयी बात बता रहा हूं. दरअसल, सर्दियों में रजाई लपेटे हुए मैंने फिल्मी गानों से इस मौसम के फलसफे को समझने की कोशिश की है. सेहत, खान-पान और काम-काज के लिहाज से सर्दी का मौसम बहुत ही अच्छा माना जाता है. भले ही यह सर्द मौसम हो, लेकिन इसके आने से चारों तरफ गर्माहट आ जाती है- खाने में, कपड़ों में और रिश्तों में भी. ज्यादातर शादी-विवाह के कार्यक्रम जाड़े में ही तो होते हैं.

मौसम मस्ताना रस्ता अनजाना (फिल्म : सत्ते पे सत्ता), लेकिन एक बात ज्यादा महत्वपूर्ण है कि इसी मौसम में हमें गर्मी की कमी का भी अहसास होता है. ये मौसम का जादू है मितवा (हम आपके हैं कौन). कुदरत ने हमें हर चीज जोड़े में दी है- सुख-दुख, धरती-आकाश, सर्दी-गर्मी, काला-सफेद और न जाने क्या-क्या! सही भी है, अगर दुख न होता, तो हम सुख को समझ ही नहीं पाते. हम इंसान धरती के मौसम के बदलने का इंतजार कितनी बेसब्री से करते हैं और हर मौसम का स्वागत भी करते हैं. अलबेला मौसम कहता है स्वागतम् (फिल्म : तोहफा), लेकिन जब जिंदगी का मौसम बदलता है, तो हमें काफी परेशानी होती है. सुख-दुख, पीड़ा-निराशा, जैसे भाव जिंदगी के मौसम हैं.

दुनिया के मौसम का समयचक्र निश्चित रहता है. मौसम आयेगा जायेगा, प्यार सदा मुस्कायेगा (फिल्म : शायद). लेकिन, जिंदगी का मौसम थोड़ा-सा अलग है, इसके बदलने का समय निश्चित नहीं है. समस्या यहीं से शुरू होती है, जब हम किसी चीज के लिए मानसिक रूप से तैयार न हों और वह हो जाये. जिंदगी का मौसम कब बदल जाये, कोई नहीं जनता. पतझड़ सावन बसंत बहार, एक बरस के मौसम चार (फिल्म : सिंदूर). बारिश के मौसम में हम बरसात को नहीं रोक सकते, लेकिन छाता लेकर अपने आप को भीगने से बचा सकते हैं. यही बात जिंदगी के मौसम पर भी लागू होती है. यानी सुख-दुख हमेशा के लिए नहीं होते. जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, मसला यह है कि इसके लिए हमारी तैयारी कैसी है.

दुख के साथ सुख भी आता है. अगर आपके साथ बहुत बुरा हो रहा है, तो अच्छा भी होगा, भरोसा रखिए. अगर हम इसको मौसम के बदलाव की तरह स्वीकार कर लें, तो न कोई स्ट्रेस रहेगा और न ही कोई टेंशन. लेकिन, ऐसा हो नहीं पाता है. जब हमारे साथ सब अच्छा हो रहा होता है, तो हम भूल जाते हैं कि जिंदगी संतुलन का नाम है और संतुलन तभी होता है, जब दोनों पलड़े बराबर हों, लेकिन हम हमेशा सुख की आशा करते हैं. बिना दुख को समझे सुख का क्या मतलब? अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा जिस दिन चुनाव जीते, उसके एक दिन पहले उनकी नानी का निधन हो गया, जिन्हें वे बहुत चाहते थे.

जिंदगी की दौड़ में पास होने के अहसास को समझने के लिए फेल होने के दर्द को समझना भी जरूरी है. जहाज पानी के किनारे सबसे सुरक्षित होता है, लेकिन उसे तो समंदर के लिए तैयार किया गया होता है. बिना लड़े अगर आप जीतना चाह रहे हैं, तो इस दुनिया में आपके लिए कोई जगह नहीं है. जिंदगी का मौसम तेजी से बदल रहा है, इसलिए जिंदगी में आनेवाले हर बदलाव का स्वागत करना चाहिए.

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