राजनीति के सांप्रदायिक मोहरे

हाल में दो अलग-अलग रैलियों में भाजपा और सपा ने मुजफ्फरनगर दंगे के आरोपियों को सम्मानित किया. सपा की यूपी में सरकार है और भाजपा एक बड़ी पार्टी है. दोनों पार्टियों का कहना है कि उनके नेताओं ने लोगों की रक्षा बखूबी की. भाजपा और सपा वालो, जब आपके नेतागण आपके अनुसार मानवता की रक्षा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 26, 2013 4:00 AM

हाल में दो अलग-अलग रैलियों में भाजपा और सपा ने मुजफ्फरनगर दंगे के आरोपियों को सम्मानित किया. सपा की यूपी में सरकार है और भाजपा एक बड़ी पार्टी है. दोनों पार्टियों का कहना है कि उनके नेताओं ने लोगों की रक्षा बखूबी की.

भाजपा और सपा वालो, जब आपके नेतागण आपके अनुसार मानवता की रक्षा ही कर रहे थे, तो वहां दंगा भड़काने कोई मंगल ग्रह से आया था क्या? पटना में मोदी की रैली में मरे लोगों के लिए अस्थि कलश यात्रा निकालना, नीतीश कुमार द्वारा बिहार में 500 करोड़ रुपये की लागत से राम मंदिर बनवाना, तौकीर रजा जैसे दंगे के आरोपी से केजरीवाल और दिग्विजय की सांठ-गांठ जैसे सैकड़ों उदाहरण विद्यमान हैं.

इससे साफ है कि अलग-अलग मुखौटों के साथ चेहरा एक ही है. आखिर नेता कब समझेंगे कि जनता को मंदिर-मसजिद नहीं, रोजगार से मतलब है.

सुमन सौरभ, ई-मेल से

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