बेमतलब बरपा जा रहा हंगामा

संसद के कई सत्रों के बेकार और निष्फल बीत जाने के बाद अब शीतकालीन सत्र भी हंगामे की भेंट चढ़ने जा रहा है. संसद लोकतंत्र की महापंचायत है, जहां पूरे देश के लिए कानून बनते हैं. जनहित पर चर्चा की जाती है. बीते कई सालों से कहने के लिए संसद का सत्र आयोजित किया तो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 14, 2015 6:34 AM
संसद के कई सत्रों के बेकार और निष्फल बीत जाने के बाद अब शीतकालीन सत्र भी हंगामे की भेंट चढ़ने जा रहा है. संसद लोकतंत्र की महापंचायत है, जहां पूरे देश के लिए कानून बनते हैं. जनहित पर चर्चा की जाती है. बीते कई सालों से कहने के लिए संसद का सत्र आयोजित किया तो जा रहा है, लेकिन इसमें जनहित पर चर्चा नहीं हो रही है. सियासी दलों की दलगत राजनीति और अड़ियल रवैये के कारण संसद के शीतकालीन सत्र में बना गतिरोध अब भी जारी है.
विपक्ष का काम रचनात्मक विरोध करना है. संसद किसी व्यक्ति विशेष के मामलों पर बहस की जगह नहीं है. आज के दौर में जरूरी है कि विपक्ष सरकार की नीतियों पर देशहित में बहस करे. साथ ही सरकार को भी चाहिए कि संसद को सुचारु रूप से चलाने की हर संभव कोशिश और पहल करे.
-मनोज आजिज, जमशेदपुर

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